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8 दिसम्बर 2020 के भारत बंद को भारतीय किसान संघ का समर्थन नहीं

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नई दिल्ली. केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कुछ किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरना दिए हुए हैं. सरकार और किसान नेताओं के मध्य 5वें दौर की वार्ता कल भी निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंची, परन्तु कृषि मंत्री द्वारा इन कानूनों में संशोधन करने की सहमति जाहिर की गई और 9 दिसम्बर को पुनः वार्ता के लिए दोनों पक्ष सहमत हुए हैं. यद्यपि किसान नेताओं ने वार्ता में आने की सहमति तो दी परन्तु फिर भी 8 दिसम्बर को भारत बंद की घोषणा की गई है.

देश की जनता यह भी जान चुकी है कि पंजाब राज्य सरकार द्वारा पारित वैकल्पिक बिलों में केन्द्रीय कानून को निरस्त कर 5 जून से पूर्व की स्थिति बहाल करने का प्रावधान किया जा चुका है, फिर भी पंजाब के ही किसान नेता तीनों बिलों को वापस लेने की मांग पर क्यों अड़े हुए हैं?

भारतीय किसान संघ बिलों को वापस नहीं लेकर, न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी नहीं हो, व्यापारियों से किसान की राशि की गारंटी रहे, पृथक कृषि न्यायालय खड़े हों एवं अन्य संशोधनों के साथ लागू करने की मांग कर रहा है, क्योंकि संपूर्ण देश में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन करने वाले छोटे-बड़े सभी किसानों के लिए इन बिलों की उपादेयता सिद्व होती है, इसलिए इन्हें वापस लेने की मांग पर अड़े रहने का समर्थन हम नहीं कर सकते.

यद्यपि अभी तक यह आंदोलन अनुशासित चला है, परन्तु ताजा घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि विदेशी ताकतें, राष्ट्रद्रोही तत्व एवं कुछ राजनैतिक दलों का प्रयास किसान आंदोलन को अराजकता की ओर मोड़ देने में प्रयासरत है. अंदेशा है कि वर्ष 2017 में मंदसौर की दर्दनाक स्थिति की पुनरावृत्ति नहीं कर दी जाए, जहां 6 किसानों की गोली से मृत्यु हुई, 32 गाड़ियां जली और दुकानें-घर जले. उस समय जिन लोगों ने किसानों को हिंसक आंदोलन में झोंका वे नेता तो विधायक और मंत्री बन गए, परन्तु जो जले-मरे उनके परिवार आज बर्बादी का दंश झेल रहे हैं. ऐसे आंदोलन से नुकसान तो देश का और किसानों का ही होता है.

अतः भारतीय किसान संघ ने ‘8 दिसम्बर के भारत बंद’ से अलग रहने का निर्णय लिया है और अपने कार्यकर्ताओं से आह्वान करता है कि भारत बंद के सम्बन्ध में जनता को सावधान करें, स्वयं सजग रहें, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय वारदात से बचाया जा सके.

अपेक्षा करते हैं कि देश की समस्त जनता एवं किसान बंधु भारतीय किसान संघ के इस अनुरोध को गंभीरता से लेते हुए साथ देंगें.

महामंत्री

भारतीय किसान संघ

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