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‘भारत’ यानि ज्ञान रूपी प्रकाश में लीन देश

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अगरतला, त्रिपुरा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ असम क्षेत्र के “कार्यकर्ता विकास वर्ग – प्रथम” (20 दिवसीय) का समापन समारोह सेवा धाम, खैरपुर, पूर्वी चंपामुरा में आयोजित हुआ. असम क्षेत्र (अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और असम) का कार्यकर्ता विकास वर्ग 18 मई, 2024 को अगरतला सेवा धाम में प्रारंभ हुआ था. वर्ग में कुल 152 प्रशिक्षु, 30 प्रशिक्षक और 41 विभिन्न पदाधिकारियों ने भाग लिया. यह देश भर में आयोजित कुल 14 कार्यकर्ता विकास वर्गों में से एक था. समापन कार्यक्रम में त्रिपुरा के प्रमुख व्यवसायी रतन देबनाथ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. वर्ग सर्वाधिकारी उत्तर असम सह प्रांत संघचालक प्रदीप सैकिया थे. समापन समारोह में मुख्य वक्ता असम क्षेत्र प्रचारक वशिष्ठ बुजरबरुआ रहे.

वशिष्ठ बुजरबरुआ ने हमारे राष्ट्र भारत का वास्तविक अर्थ समझाते हुए कहा कि ‘भा’ शब्द का अर्थ है ज्ञान और ‘रत’ का अर्थ है लीन होना. यानि ज्ञान पूरी प्रकाश में लीन. इस प्रकार, “भारत” शब्द का अर्थ एक ऐसे देश से है, जिसके देशवासी उच्च ज्ञान प्राप्त करना अपना एकमात्र लक्ष्य मानते हैं. भारत के पृथ्वी पर अस्तित्व का उद्देश्य पूरे विश्व की मानव जाति को सच्चा ज्ञान प्रदान करना है. भारत विश्व गुरु की भूमिका निभाता रहा है. उन्होंने कहा कि भारत के ऋषियों ने अनादि काल से ही विश्व को अनेक बहुमूल्य शास्त्रों का ज्ञान दिया है. पश्चिम पूरी दुनिया को बाजार मानता है, जबकि भारत पूरी दुनिया को परिवार मानता है. हमारे ऋषिगण कहा है – वसुधैव कुटुम्बकम. हमारी सामाजिक व्यवस्था इस बात पर केंद्रित है कि मनुष्य को नर से नारायण कैसे बनाया जाए. दूसरी ओर, पश्चिमी सभ्यता भौतिकवादी मनुष्य की अवधारणा से ग्रस्त है. उन्होंने भारत की महान विरासत को बनाए रखने के लिए संघ की भूमिका पर चर्चा की. जिससे पृथ्वी पर रहने वाले समस्त प्राणी शांति और सभी के कल्याण के लिए समर्पित जीवन जी सकें.

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