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भीमा कोरेगांव – डीयू प्रोफेसर हनी बाबू गिरफ्तार, हिंसा भड़काने और साजिश रचने का आरोप

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नई दिल्ली. एनआईए (नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी) ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मंगलवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हनी बाबू एमटी को गिरफ्तार किया है. डीयू प्रोफेसर पर माओवादी विचारधारा फैलाने और साजिश रचने का आरोप लगा है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू को बुधवार को मुंबई एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया गया. एनआईए ने जनवरी 2019 में इस मामले की जांच शुरू की थी और इसके बाद 14 अप्रैल को आनंद तेलतुंबड़े और गौतम नौलखा को गिरफ्तार किया था. प्रोफेसर हनी बाबू उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर का रहने वाला है. इससे पहले पिछले वर्ष भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस और नोएडा पुलिस की संयुक्त टीम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू के नोएडा स्थित आवास पर छापेमारी भी की थी. यह छापेमारी भी प्रोफेसर सिंह के नक्सलियों से सम्बन्ध को लेकर की गई थी.

31 दिसंबर 2017 को यलगार परिषद सम्मेलन का आयोजन भीमा कोरेगांव में किया गया था. यहां कुछ बुद्धिजिवियों द्वारा भड़काऊ भाषण देने के बाद अगले दिन 01 जनवरी 2018 को पुणे जिले के भीमा कोरेगांव में युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी. इसमें एक युवक की जान चली गई थी. साथ ही करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ था. इस मामले में अरुण थॉमस फेरेरिया, रोना जैकब विल्सन, सुधीर प्रल्हाद धवले सहित 19 लोगों को आरोपी बनाया गया था.

हनी बाबू डीयू के प्रोफ़ेसर हैं और ‘द कमेटी ऑफ सिविल राइट्स एक्टिविस्ट्स’ के सदस्य हैं. इस कमेटी का गठन जीएन साईबाबा द्वारा किया गया था. डीयू प्रोफ़ेसर साईबाबा को 2017 में महाराष्ट्र की एक अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. साईबाबा के प्रतिबंधित माओवादी संगठन सीपीआई से सम्बन्ध सामने आए थे.

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