नई दिल्ली. सरकारी स्तर पर चीन और चीनी कंपनियों को झटका देने का क्रम निरंतर जारी है. अब सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनियों ने चीनी कंपनियों को झटका दिया है. भारत सरकार द्वारा संचालित तेल कंपनियों ने चीनी कंपनियों द्वारा संचालित या उनके मालिकाना हक वाले तेल टैंकरों की बुकिंग बंद करने का निर्णय लिया है. भले ही जहाज किसी तीसरे देश में पंजीकृत क्यों न हो. माना जा रहा है कि यह निर्णय चीन के साथ व्यापारिक गतिविधियों को रोकने के लिए पिछले महीने जारी निर्देशों के अनुसार आया है. भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प और तनाव के बीच व्यापारिक संबंधों में भी तनाव आया है. निजी व सरकारी स्तर पर चीनी कंपनियों से संबंध तोड़ने का क्रम निरंतर जारी है.
तेल कंपनियों के पास पहले से ही अपनी वैश्विक निविदाओं में भारतीय जहाजों के पक्ष में फर्स्ट राइट ऑफ रिफ्यूजल (मना करने का पहला अधिकार) का खंड है. इसके तहत अगर भारतीय टैंकर विदेशी जहाजों की विजयी बोली से समानता रखते हों तो उन्हें कॉन्ट्रैक्ट दिया जा सकता है. भारत सरकार के निर्णय से हर वह जहाज कारोबार के मामले में दायरे से बाहर हो जाएगा, जिसका चीन के साथ कोई भी, किसी भी प्रकार का संबंध होगा. इस फैसले से तेल कंपनियों के व्यापार पर कोई बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
सीमा पर तनाव के पश्चात चीनी कंपनियों के अनेक टेंडर रद्द किये गए हैं. उन्हें प्रोजेक्ट्स से बाहर का रास्ता दिखाया गया है. पिछले महीने ही भारत सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने चीन के 59 मोबाइल एप्स प्रतिबंध लगा दिया था. इसके कुछ दिनों बाद सरकार ने 47 अन्य एप्प पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो पहले के 59 एप्स के ही क्लोन कहे जा रहे थे. इस सूची में टिकटॉक, हेलो और शेयरइट जैसे लोकप्रिय एप्प शामिल थे. इसके अलावा चीनी कंपनियों के अन्य एप्स की जांच भी सरकार द्वारा की जा रही है.