नई दिल्ली. गलवान घाटी में हिंसक झड़प के पश्चात चीनी कंपनियों को एक और झटका लगा है. भारत सरकार के अंतर्गत सरकारी तेल कंपनियों ने बड़ा कदम उठाया है. भारतीय तेल कंपनियों ने चीन से जुड़ी कंपनियों से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है. कहा जा रहा है कि हाल ही में जारी सरकार के निर्देशों के तहत यह कदम उठाया गया है, जिसमें भारत की सीमा से लगने वाले देशों से आयात को प्रतिबंधित करने का लक्ष्य है. चीन से विवाद के पश्चात 23 जुलाई को सरकार ने नए नियमों की घोषणा की थी. नए आदेश के जारी होने के बाद से सरकारी रिफाइनरियां अपने आयात टेंडर में इससे संबंधित एक क्लॉज जोड़ रही हैं. सरकारी कंपनियां भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों की कंपनियों के साथ लेनदेन को प्रतिबंधित करने के लिए टेंडरों में शर्त लगा रही हैं.
बीते सप्ताह भारतीय कंपनियों ने सीएनओओसी लिमिटेड, यूनिपेक और पेट्रोचाइना को कच्चे तेल के आयात वाले टेंडर भेजने से रोकने का निर्णय लिया. नए नियमों के अनुसार, भारतीय टेंडर में भागेदारी के लिए पड़ोसी देशों की कंपनियों को वाणिज्य विभाग के साथ रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी कर दिया गया था.
सरकारी तेल कंपनियों के पास देश की कुल रिफायनिंग क्षमता का 60 फीसदी हिस्सा है. ये कंपनियां अक्सर तेल की खरीद के लिए स्पॉट मार्केट की तरफ रुख करती हैं. वहीं, चीन सीधे भारत को तेल का एक्सपोर्ट नहीं करता, हालांकि चीन की कंपनियां दुनिया भर में कच्चे तेल की ट्रेडिंग करती हैं. इसके साथ ही चीन की कंपनियां दुनिया भर के कई तेल क्षेत्र में हिस्सेदारी रखती हैं.
इतना ही नहीं, पूर्व में सरकारी नियंत्रण वाली तेल कंपनियों ने चीनी कंपनियों द्वारा संचालित या उनके मालिकाना हक वाले तेल टैंकरों की बुकिंग को भी बंद करने का निर्णय लिया है, भले ही जहाज किसी तीसरे देश में पंजीकृत हो. यह निर्णय चीन के साथ व्यापारिक गतिविधियों को रोकने के लिए पिछले महीने जारी निर्देशों के तहत आया है.
हालांकि, इस निर्णय से तेल कंपनियों के व्यापार पर कोई बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि ऐसे जहाजों में चीनी जहाजों की संख्या बहुत कम है. तेल कंपनियों के पास पहले से ही अपनी वैश्विक निविदाओं में भारतीय जहाजों के पक्ष में फर्स्ट राइट ऑफ रिफ्यूजल (मना करने का पहला अधिकार) का खंड है. इसके तहत अगर भारतीय टैंकर विदेशी जहाजों की विजयी बोली से समानता रखते हों तो उन्हें कॉन्ट्रैक्ट दिया जा सकता है. भारत सरकार के ताजा फैसले से हर वह जहाज कारोबार के मामले में दायरे से बाहर हो जाएगा, जिसका चीन के साथ कोई भी संबंध होगा.
गलवान में हिंसक झड़प के पश्चात चीनी कंपनियों के खिलाफ कदम उठाए जा रहे हैं. चीनी कंपनियों को विभिन्न प्रोजेक्टों से दूर रखने के लिए कदम उठाए गए हैं. चीनी एप्स को प्रतिबंधित किया गया है.