चीन में उइगर समुदाय का शोषण तथा उनके खिलाफ अत्याचार व नरसंहार विश्व समुदाय से छिपा नहीं है. उइगर समुदाय के प्रति चीन की कम्युनिस्ट सरकार के रवैये को लेकर विश्व में आवाज उठती रही है. लेकिन अब, इस मामले को लेकर अब दुनिया भर के लोकतांत्रिक देश सामने आकर चीन की कम्युनिस्ट सरकार की आलोचना कर रहे हैं. इसी मुद्दे पर अब ब्रिटिश सांसदों ने चीन की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है.
ब्रिटेन के सांसदों ने एक संसदीय प्रस्ताव को पारित कर घोषित किया कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार की नीतियां उसके पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में रहने वाले अल्पसंख्यक उइगर समुदाय की आबादी के खिलाफ है. सांसदों द्वारा लाए गए प्रस्ताव में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों को नरसंहार के समान और मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया है.
उइगर मुस्लिमों के नरसंहार और उनके शोषण को लेकर पहले से ही ब्रिटेन और चीन के बीच तनातनी चल रही है. इसके अलावा जिस तरह से हांगकांग में लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में नए-नए नियम लागू किए हैं, उसके बाद से ब्रिटेन लगातार चीन की आलोचना कर रहा है.
यह जगजाहिर है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार को पूरी तरह से कुचला जाता है और लोकतांत्रिक अधिकार वहां के नागरिकों को किसी भी तरह से प्राप्त नहीं है. इन्हीं सब कारणों की वजह से मार्च के महीने में मानवाधिकार उल्लंघन के लिए चीनी अधिकारियों के खिलाफ ब्रिटेन की सरकार ने पाबंदियां लगाई थीं.
ब्रिटेन की कार्रवाई का जवाब देते हुए चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने कुछ ब्रिटिश सांसदों, अधिकारियों और नेताओं पर प्रतिबंध लगाए थे. चीन के कदम को उसकी तिलमिलाहट के रूप में देखा गया था.
इन प्रतिबंधों के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने स्पष्ट रूप से कहा था कि चीन ने जिन सांसदों और ब्रिटिश नागरिकों पर प्रतिबंध लगाए हैं, वह चीनी अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को उजागर करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.