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मुंगेर में मूर्ति विसर्जन के दौरान चली गोलियां

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संजीव कुमार

मुंगेर में मूर्ति विसर्जन के दौरान गोलियां चलीं. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रशासन की ओर से चली गोलियों में एक युवक अनुराग की मृत्यु हो गई. जबकि, चार से अधिक लोग घायल हुए. प्रशासन इसे शरारती तत्वों की कार्रवाई मान रहा है, पुलिस का दावा है कि 17 पुलिसकर्मी भी घायल हुए.

मुंगेर में दुर्गापूजा का विशेष महत्त्व है. मुंगेर में दुर्गापूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन देखने पूरे प्रांत से लोग आते हैं. इस बार कोरोना को लेकर थोड़ी संख्या कम है. यहां सबसे महत्त्वपूर्ण सादिकपुर की बड़ी दुर्गा की प्रतिमा होती है. मुंगेर में एक से लेकर 110 नंबर तक दुर्गाजी की प्रतिमा बिठाई जाती है. 1 नंबर सादिकपुर की बड़ी दुर्गा होती है. यहां के बगल में ही दो और प्रतिमाएं बैठती हैं. सबसे पहले इन्हीं तीन प्रतिमाओं की शोभा यात्रा निकलती है. 1 से 3 नंबर तक की प्रतिमा डोली पर रखी जाती है. बड़ी दुर्गा जी को उठाने में 50 से 60 आदमी लगते हैं. इस शोभा यात्रा में मुंगेर की और स्थानों की दुर्गा प्रतिमा जुड़ती जाती हैं और सबसे पहले बड़ी दुर्गा, फिर एक-एक करके अन्य स्थानों की दुर्गा माता की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. मुंगेर के बगल में जमालपुर है. जमालपुर में भी दुर्गा पूजा का बड़ा आयोजन किया जाता है. वहां की प्रतिमाओं का विसर्जन भी इनके साथ ही किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में लगभग दो दिन लग जाते हैं. एक प्रकार से दसवीं और एकादशी मुंगेर के लिए ब्लैकआउट डे होता है. मुंगेर और जमालपुर में शेष गतिविधि नाम मात्र की होती है. सिर्फ प्रतिमा विसर्जन की शोभा यात्रा में ही सब लोग लगे रहते हैं.

इस बार भी मुंगेर में दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ. कोरोना और चुनाव के कारण बाकी समय की तुलना में यह आयोजन थोड़ा छोटा था. यहां विधिसम्मत तरीके से ही प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. प्रशासन बार-बार 25 को मूर्ति विसर्जन के लिए आग्रह कर रहा था. लेकिन, रविवार और विजयादशमी की तिथि न होने के कारण आयोजकों ने प्रशासन से आग्रह किया कि 26 को ही प्रतिमा विसर्जन संभव है. आयोजकों ने दो विकल्प रखे थे. या तो पारंपरिक तरीके से 26 को प्रतिमा विसर्जन की अनुमति दी जाए, या फिर कलश विसर्जन पहले करने दिया जाए और बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पारंपरिक तरीके से दुर्गाजी की प्रतिमाओं का विसर्जन हो. मुंगेर में 28 अक्तूबर को बिहार विधानसभा का चुनाव है. प्रशासन ने 26 को पारंपरिक तरीके से दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की अनुमति दे दी. अमूमन शाम के समय सादिकपुर की बड़ी दुर्गाजी की विसर्जन यात्रा प्रारंभ होती है. लेकिन, प्रशासन की विवशता को देखते हुए दिन में 11 बजे ही प्रतिमा विसर्जन के लिए शोभा यात्रा प्रारंभ हो गई. शाम को 7.30 बजे दीनदयाल चौक के पास प्रतिमा को रखा गया. यहां पर आजाद चौक और अन्य स्थानों से प्रतिमाएं आनी थी. उसके बाद यह शोभा यात्रा आगे बढ़ती. कुछ विलंब होने के कारण प्रशासन उतावला हो गया.

घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों और प्रशासन का अलग-अलग मत है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि शोभा यात्रा को नियंत्रित करने में जो पुलिस बल लगा था, उसके प्रमुख को कहीं से फोन आया कि एक्शन लो और प्रशासन की ओर से गोलियां गरज उठीं. जबकि, मुंगेर की जिलाधिकारी राजेश मीना एवं पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने इसे उपद्रवी तत्वों की साजिश बताया है. पुलिस का मानना है कि मुंगेर में पंडित दीनदयाल चौक के पास शंकरपुर के मूर्ति विसर्जन के लिए प्रशासन ने आदेश दिया था. मूर्ति विसर्जन की शोभा यात्रा में पुलिस और स्थानीय लोगों में कहासुनी हो गई. जिसमें किसी ने फायरिंग कर दी. फायरिंग में ही नवयुवक अनुराग कुमार को गोली लगी. जिसमें उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया. फायरिंग में 5 अन्य लोग भी घायल हुए. जिनमें दो की हालत गंभीर है. गंभीर लोगों को पीएमसीएच रेफर किया गया है. पुलिस का मानना है कि हिंसक भीड़ के कारण संग्रामपुर के थानाध्यक्ष सर्वजीत कुमार, कोतवाली थानाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह, कासिम बाजार थानाध्यक्ष शैलेश कुमार समेत 17 पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं. कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए शहर में फ्लैग मार्च निकाला जा रहा है. प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि पुलिस ने बगैर किसी अल्टीमेटम के एक हवाई फायर के बाद चार राउंड गोली चलाई, जिसके कारण एक युवक की मृत्यु हुई और पांच घायल हुए. जबकि पुलिस का मानना है कि असामाजिक तत्वों ने 12 राउंड फायरिंग की.

स्थानीय लोग घटना की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. आखिरकर नवयुवक अनुराग का कसूर क्या था? वह तो अन्य लड़कों की तरह ही शोभा यात्रा में शामिल था. अनुराग के पिता हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं. चार बहनों का इकलौता भाई था.

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