शिमला (विसंकें). सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक केसी सडयाल ने कहा कि देश में कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए नागरिकता कानून के नाम पर भ्रम फैला रहे हैं. नागरिकता संशोधन कानून के कारण किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं छिनेगी, बल्कि इस कानून से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए (पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से) अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी. केसी सडयाल उच्च न्यायालय परिसर में आयोजित संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे. नागरिकता संशोधन कानून – 2019 को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया था. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश महाधिवक्ता अशोक शर्मा ने की.
मुख्य वक्ता केसी सडयाल ने कहा कि तीन देशों में हिन्दुओं की संख्या में लगातार गिरावट आई. 1952 में नेहरू लियाकत समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय भारत और पाकिस्तान में इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों देश अपने अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करेंगे. भारत ने तो इस समझौते का पालन किया, जबकि पाकिस्तान ने लगातार समझौते के प्रावधानों का उल्लघंन किया. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिन्दुओं की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी थी. खुलेआम मानवाधिकारों का उल्लघंन हो रहा था. हिन्दुओं को अगर शादी भी करनी होती थी तो उनको बंद कमरे में सारी रस्मों एवं रिवाजों को पूरा करना पड़ता था. उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए इस कानून का विरोध करने वालों की निंदा की, चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ लोग केवल अपने स्वार्थों की चिंता करते हैं, जिस कारण वे इस कानून के नाम पर भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं. सीएए के नाम पर उपद्रव करने वाले करीब 2000 उपद्रवियों को नोटिस किए जा चुके हैं, जिनसे भविष्य में नुकसान की वसूली संभव है.
कार्यक्रम अध्यक्ष अशोक शर्मा ने कानून के प्रावधानों को विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि यह कानून भारत के किसी भी नागरिक के विरोध में नहीं है. देश का संविधान सर्वोच्च है, अगर किसी को इस कानून के प्रावधानों से कोई आपति है तो इसके लिए वह संविधान के तहत शांतिपूर्वक अपना प्रतिरोध जता सकता है. विरोध के नाम पर किसी भी प्रकार की हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता.