कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शाहजहां शेख और उनके लोगों द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमला करने के आरोपों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवागनानम और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की पीठ ने निर्देश दिया.
राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने तीन दिन के लिए आदेश पर रोक लगाने की मांग की, जिसे पीठ ने ठुकरा दिया. इस साल पांच जनवरी को करीब 200 स्थानीय लोगों ने ईडी अधिकारियों का घेराव किया जो राशन घोटाला मामले में अकुंजीपारा में शेख के आवास पर छापा मारने पहुंचे थे. इस झड़प में ईडी के अधिकारी घायल हो गए थे. घटना के मद्देनजर, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बाद में शेख की गिरफ्तारी की मांग की थी.
पश्चिम बंगाल पुलिस ने 55 दिन बाद आखिरकार 29 फरवरी को शेख को गिरफ्तार कर लिया था.
सोमवार (4 मार्च) को बेंच ने पश्चिम बंगाल पुलिस से अगले आदेश तक जांच पर ‘अपने हाथ रोकने’ के लिए कहा था.
ईडी की ओर से उप सॉलिसिटर जनरल (डीएसजी) धीरज त्रिवेदी ने कहा था कि मामले की जांच पर पिछले महीने इसी पीठ ने पहले ही रोक लगा दी थी.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि राज्य पुलिस ने उक्त प्राथमिकी में जानबूझकर शेख को गिरफ्तार किया और यह उसकी ओर से दुर्भावनापूर्ण तरीके को दर्शाता है.
राजू ने तर्क दिया, “मिलॉर्ड्स, राज्य उनके खिलाफ लंबित 40 से अधिक एफआईआर में उन्हें गिरफ्तार कर सकता था. लेकिन उन्होंने उसे इन दो एफआईआर में गिरफ्तार करने का फैसला किया. इरादा केवल एफआईआर को हराना है और कुछ नहीं. हमें उसकी विशेष अभिरक्षा की आवश्यकता है. उसे गिरफ्तार करते समय न्यायालय द्वारा पारित सभी आदेश विफल हो गए हैं और अब वह मजे से हिरासत का आनंद ले रहा है और उसके पास करने के लिए कुछ नहीं है. इस प्रकार, कोई उद्देश्य नहीं है और यह गिरफ्तारी एक दिखावा है. अगर 15 दिन की इस हिरासत अवधि में कोई जांच नहीं होगी तो कुछ भी सामने नहीं आएगा.”
राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने हालांकि इस मामले में शेख की गिरफ्तारी को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस की ओर से कुछ गलतफहमी हुई है.