प्रतापगढ़.
चरन-कमल बंदौ हरि-राइ.
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अंधे कौं सब कछु दरसाइ..
बहिरौ सुनै, गूँग पुनि बोलै, रंक चलै सिर छत्र धराइ..
सूरदास स्वामी करुणामय, बार-बार बंदौ तिहिं पा..
प्रभु श्रीराम की चरण पादुका की एक झलक पाने के लिए प्रतापगढ़ के भाव विह्वल लोग कुछ ऐसे ही व्यग्र दिखे.श्रीराम की चरण पादुका यात्रा चित्रकूट से चलकर कौशांबी, प्रयागराज, श्रृंगवेरपुर होते हुए प्रतापगढ़ पहुंची. प्रतापगढ़ की सीमा पर पहुंचने पर पुष्प वर्षा एवं जय श्री राम के उद्घोष के साथ शंखध्वनि करते हुए वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ भव्य स्वागत किया गया. यात्रा में उपस्थित हर कंठ के जय श्रीराम के उद्घोष से वातावरण राममय हो गया.
श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा संपर्क अभियान समिति प्रतापगढ़ के संयोजकत्व एवं एकल विद्यालय तथा विश्व हिन्दू परिषद प्रतापगढ़ के नेतृत्व में यात्रा विश्वनाथगंज शनि देव धाम के ठीक सामने पहुंचते ही स्थानीय नागरिकों ने शीश नवाकर चरण पादुका का दर्शन पूजन किया. यात्रा राजगढ़ होते हुए भूपिया मऊ पहुंची, जहाँ जय श्री राम के उद्घोष के साथ वातावरण राममय हो गया. सीताराम धाम होते हुए चौक घंटा घर के पास बड़ी संख्या में एकत्र मातृशक्ति ने मंगलवेश में थाल सजाकर आरती उतारी. श्रीरामचरण पादुका के दर्शन के लिए आम जनमानस सड़कों पर उमड़ पड़ा. जन-जन में भगवान श्रीराम के प्रति भक्ति का प्रबल ज्वार देखने को मिला. जगह-जगह पर पूरी यात्रा में भगवान श्रीराम की चरण पादुका के दर्शन की लालसा अभिसिंचित रही.
यात्रा कई चौराहों, गलियों से होकर गुजरी. प्रेम-आस्था का दृश्य श्रीराम का गुणगान कर रहा था. जो मातृशक्ति यात्रा में उपस्थित होने से वंचित रह गयी, उन्होंने अपने छतों से पुष्प वर्षा कर श्रीराम के दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.