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बड़े बड़प्पनवाले छोटे बाबू

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पटना, 06 अक्तूबर.

एक गीत की पंक्ति है – जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना.

शायद गीतकार ने छोटे बाबू जैसे लोगों को ध्यान में रखकर ही इस गीत की पंक्ति लिखी होगी. श्री प्रकाश नारायण सिंह उपाख्य छोटे बाबू के पितामह राय बहादुर ऐदल सिंह एक संपन्न व्यक्ति थे. उन्होंने ही नालंदा कॉलेज की स्थापना के लिए जमीन दान दी थी. छोटे बाबू के पिताजी कृष्ण वल्लभ नारायण सिंह उपाख्य बबुआ जी ने भी पिताजी की परंपरा को आगे बढ़ाया. गया में गांधी जी की गाय को खरीद कर उन्होंने सबको चौंका दिया था. बाबा जी पहले हिन्दू महासभा से जुड़े थे. बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार के संपर्क में आए. डॉक्टर साहब ने ही उन्हें संघचालक का दायित्व दिया था. डॉक्टर हेडगेवार की अंतिम समय में राजगीर में विश्राम करने की सलाह व व्यवस्था भी बबुआजी ने ही बनाई थी. ऐसे परिवार में छोटे बाबू का जन्म हुआ था.

छोटे बाबू का जन्म 20 अगस्त, 1942 को पीएमसीएच में हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा गया के नजारथ एकेडमी में हुई. नैनीताल के बिरला विद्या मंदिर से मैट्रिकुलेशन की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद की शिक्षा दीक्षा इलाहाबाद से हुई. क्वींस कॉलेज से स्नातक करने के बाद आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर किया. आपका विवाह 7 मार्च, 1968 को तत्कालीन दरभंगा जिले के प्रतिष्ठित परिवार में पूर्णिमा सिंह से हुआ. पूर्णिमा सिंह केंद्रीय मंत्री श्यामनंदन मिश्र की इकलौती संतान थी. उस विवाह के कई किस्से प्रसिद्ध हैं. श्यामनंदन मिश्र के सहयोगी रहे राम किशोर सिंह बताते हैं कि यह शादी दिल्ली में हुई थी. श्यामनंदन मिश्र की पुत्री का विवाह था. लिहाजा सारा केंद्रीय मंत्रिमंडल उस विवाह में उपस्थित था. वर पक्ष की गरिमा कम ना हो जाए, इसीलिए फिल्म व्यवसाय से जुड़े रहने के कारण बबुआ जी ने अपने पुत्र की शादी में राज कपूर को निमंत्रित किया. राज कपूर के आने के बाद सभी लोग राज कपूर को देखने चले गए और उस समय विवाह मंडप में सिर्फ छोटे बाबू, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्णिमा सिंह जी की मां और एक दो महिलाएं ही रह गई.

बबुआ जी को दो संतानें थीं. बड़े पुत्र का नाम ओमप्रकाश नारायण सिंह और छोटे पुत्र श्रीप्रकाश नारायण सिंह उपाख्य छोटे बाबू थे. बड़े बाबू से दो संतान हुई – रोशन जी और नमिता शर्मा. नमिता शर्मा का विवाह राधेश्याम कथावाचक के परिवार में हुआ. छोटे बाबू को तीन संतान हुई – दो पुत्र और एक पुत्री. बड़े पुत्र का नाम ज्ञान प्रकाश नारायण सिंह और छोटे पुत्र का नाम ज्योति प्रकाश नारायण सिंह है. पुत्री का नाम स्मिता विजय है. ज्योति प्रकाश गल्फ़ा लैबोरेट्रीज के संस्थापक नवल किशोर सिंह के दामाद हैं.

छोटे बाबू सामाजिक कार्यों में सदा आगे रहते थे. कई सामाजिक दायित्वों का कुशलता पूर्वक निर्वहन करते रहे. भारत में फिल्म व्यवसाय को गति देने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य रहे. बिहार मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन के भी आप सदस्य थे. पटना का गौरव नाम से विख्यात अशोक सिनेमा हॉल के प्रबंधन का सारा कार्य स्वयं देखते थे. अशोक सिनेमा हॉल की स्थापना से लेकर आज के अशोक – आई नॉक्स बनने तक का सारा सफर उन्होंने अपने मार्गदर्शन में आगे बढ़ाया.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके विचार से चलने वाली कई संस्थाओं के आप मार्गदर्शक थे. अभी वर्तमान में पटना विभाग संघचालक का दायित्व निर्वहन कर रहे थे. विश्व संवाद केंद्र पटना की स्थापना 1999 में हुई. इन 25 वर्षों की सफल यात्रा में आपने विश्व संवाद केंद्र को एक ऊंचाई प्रदान की.  इसकी स्थापना से लेकर अभी तक आप न्यास के अध्यक्ष थे. विश्व संवाद केंद्र से प्रशिक्षित कई पत्रकार आज पत्रकारिता जगत में शीर्ष स्थानों पर हैं. इसके अलावा पटना के केशव सरस्वती विद्या मंदिर समिति के भी आप अध्यक्ष थे.

सतत अध्ययनशील छोटे बाबू कुछ समय से बीमार थे. कुछ वर्ष पूर्व हृदय रोग से पीड़ित हुए. उसके बाद दिनानुदिन कुछ ना कुछ बीमारियां घेरे रही. लगभग 1 महीने पूर्व स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ा तो मुंबई गए. वहां के प्रसिद्ध लीलावती अस्पताल में भर्ती हुए. चिकित्सकों ने बताया कि कैंसर के प्रारंभिक लक्षण दिख रहे हैं. उसकी चिकित्सा प्रारंभ हुई दो कीमो चढ़ा तीसरा कीमो 8 अक्तूबर को चढ़ना था. लेकिन विधि का विधान कुछ और निश्चित था. 3 अक्तूबर की रात में अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और तत्काल लीलावती अस्पताल में पुनः भर्ती करना पड़ा. चिकित्सकों के लाख प्रयास के बाद भी बचाया नहीं जा सका और अंततः मृदुभाषी, सौम्य और सदा सबको जीत के लिए प्रोत्साहित करने वाले छोटे बाबू अपने ही जीवन की लड़ाई 6 अक्तूबर की सुबह 3 बजे हार गए. 6 अक्तूबर को देर रात उनका पार्थिव शरीर पटना लाया गया. दाह संस्कार 7 अक्तूबर को पटना के दीघा घाट में दोपहर बाद किया गया.

संजीव कुमार

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