चित्रकूट।
भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में माता अनसुईया जी की घोर तपस्या के बाद प्रकट हुई मंदाकिनी दूषित नजर आने लगी है। धर्मनगरी चित्रकूट में लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र पतित पावनी जीवनदायिनी मंदाकिनी नदी को पुनर्जीवन प्रदान करने के लिए दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा 24 मई से चलाए जा रहे अभियान में समाजसेवी कार्यकर्ता तन्मयता से जुटे हैं।
चित्रकूट की यात्रा में कामदगिरि परिक्रमा और मंदाकिनी दोनों का विशेष महत्व है। चित्रकूट की यात्रा हो और इन दोनों महत्वपूर्ण स्थानों का स्पर्श न हो तो यात्रा अधूरी मानी जाती है। दोनों ही ऐतिहासिक स्थलों की स्वच्छता व निर्मल मंदाकिनी और उसके संरक्षण को लेकर दीनदयाल शोध संस्थान पिछले कई वर्षों से प्रयासरत है। विगत 12 दिनों से दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं मां मंदाकिनी नदी की स्वच्छता हेतु श्रम कार्य कर रहे हैं।
दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने योग्य है तथा प्रातः काल प्राकृतिक वातावरण में ऐसा श्रमदान स्वास्थ्यवर्धक भी है। सभी लोगों को व्यवहारिक दृष्टि से संकल्प लेना होगा कि मंदाकिनी के आसपास एक-एक वृक्ष लगाकर कम से कम 3 वर्ष तक उसके संरक्षण संवर्धन की चिंता करेंगे तो निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम आएंगे। मंदाकिनी महज एक नदी नहीं, बल्कि आस्था का केंद्र है।
दीनदयाल शोध संस्थान के अलग-अलग प्रकल्पों एवं चित्रकूट नगर से सेवाभावी कार्यकर्ताओं की टीम सुबह 6.30 बजे से सेवा कार्य में संलग्न रहती है। श्रम सेवा अभियान चलाकर मंदाकिनी की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने का प्रयास शुरू किया गया है।