नई दिल्ली. विश्व संवास्थ्य संगठन व भारत सरकार द्वारा स्थिति स्पष्ट करने के बावजूद कुछ एजेंडाधारियों द्वारा मीडिया व सोशल मीडिया में ‘इंडियन वैरिएंट’ का प्रयोग किया जा रहा है.
जिसे देखते हुए केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से ऐसी सभी सामग्रियों को हटाने को कहा है, जिनमें कोरोना के नए रूप B.1.617 के लिए ‘इंडियन वैरिएंट’ शब्द का प्रयोग किया गया है या इसकी ओर संकेत किया गया है.
इस संबंध में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया कंपनियों को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट में में B.1.617 को बिना किसी आधार और तथ्य के ‘इंडियन वैरिएंट’के रूप में परोसा गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में B.1.617 को ‘इंडियन वैरिएंट’ नहीं कहा है.
मंत्रालय द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों को लिखे गए पत्र में कहा गया है, – “हमारी जानकारी में आया है कि एक झूठा बयान ऑनलाइन सर्कुलेट हो रहा है. जिसका मतलब यह है कि कई देशों में कोरोना वायरस का एक ‘भारतीय वेरिएंट’ फैल रहा है. यह पूरी तरह से झूठ है.”
पत्र के अनुसार, B.1.617 कोरोना का नया रूप तो है, लेकिन इसे ‘इंडियन वैरिएंट’ कहना सरासर गलत व तथ्यहीन है. पत्र में स्पष्ट व कठोर शब्दों में कहा गया है कि कोरोना के किसी भी रूप को बिना प्रमाण के ‘इंडियन वैरिएंट’ कहने का मतलब है, देश की छवि को धूमिल करना. ऐसी खबरों से लोगों के बीच गलत संदेश जा रहा है.
भारत सरकार इससे पहले टूलकिट मामले में भी ट्विटर को फटकार लगा चुकी है.
क्या कहा था विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ?
11 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पिछले साल अक्तूबर में महाराष्ट्र में कोरोना वायरस वेरिएंट B.1.617 की पहचान की गई थी. B.1.617 की तीन वंशावलियों में B.1.617.1, B.1.617.2, B.1.617.3 शामिल हैं, जो 44 देशों में पाए गए हैं. भारत के दो-तिहाई नमूनों में कोरोना का नया रूप B.1.617 पाया गया है. यह वैश्विक चिंता का विषय बन सकता है. इसलिए इसे चिंताजनक वेरिएंट की सूची में रखा जा रहा है.
सोशल मीडिया कंपनियों को लिखे पत्र में कहा गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अगले ही दिन 12 मई को इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी थी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा था कि डब्ल्यूएचओ ने अपनी किसी भी रपट में B.1.617 को ‘इंडियन वैरिएंट’ नहीं कहा है.