नई दिल्ली. कांग्रेस केवल अपने स्वार्थ की राजनीति तक ही सीमित रह गई है. राष्ट्रहित, राष्ट्र के गौरव, भारत की संस्कृति व परंपराओं से उसका कोई सरोकार नहीं है. और इस बात को कांग्रेस ने अपने कृत्यों से बार-बार साबित किया है.
अब एक अन्य उदाहरण ने यह पुनः स्पष्ट कर दिया है. एक तरफ कांग्रेस कोरोना संकट का हवाला देते हुए देश की राजधानी दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का विरोध कर रही है तो दूसरी तरफ राजस्थान में कांग्रेस की ही अशोक गहलोत नीत कांग्रेस सरकार विधायकों के लिए आलीशान फ्लैट्स बनवा रही है. जयपुर के ज्योतिनगर में विधानसभा के पास 160 फ्लैट्स का निर्माण किया जा रहा है. कंस्ट्रक्शन की शुरुआत कोरोना की दूसरी लहर के बीच 20 मई को हुई है.
160 लग्जरी फ्लैट्स के निर्माण का जिम्मा राजस्थान हाउजिंग बोर्ड (RHB) को दिया गया है. हर फ्लैट 3200 स्क्वायर फीट में बनाया जा रहा है, जिसमें 4 बेडरूम होंगे. रिपोर्ट्स के अनुसार 160 फ्लैट्स के निर्माण पर 266 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
”काम की शुरुआत समय पर हुई है. प्रॉजेक्ट राजस्थान विधानसभा के ठीक सामने है और 160 फ्लैट्स का निर्माण किया जा रहा है. सभी प्लैट में 3200 स्क्वायर फीट का स्पेस होगा और 4 बेडरूम होंगे तो अलग से पार्किंग स्पेस की व्यवस्था भी होगी.”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (JDA) ने 176 फ्लैट्स का प्रस्ताव रखा था, लेकिन RHB ने 160 फ्लैट्स के निर्माण को मंजूरी दी. प्रॉजेक्ट को 30 महीनों मे पूरा किया जाना है. केंद्र में सेंट्रल विस्टा के विरोध और जयपुर में फ्लैट्स के निर्माण को लेकर मीडिया ने जब राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से पूछा तो उन्होंने तर्क दिया कि ”यह कानून के अनुसार किया जा रहा है.”
राजस्थान सरकार ने प्रोजेक्ट को ऐसे समय पर शुरू किया है, जब कांग्रेस पार्टी दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का विरोध कर रही है. कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं ने महामारी के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का विरोध किया है, जिसमें नई संसद का निर्माण भी शामिल है.
सेंट्रल विस्टा परियोजना
सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत एक नए संसद भवन और नए आवासीय परिसर का निर्माण किया जाएगा. इसमें प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के साथ कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है. सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी. 10 दिसंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी थी.
इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक तीन किलोमीटर लंबे ‘राजपथ’ में भी परिवर्तन प्रस्तावित है. सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को संग्रहालय में बदल दिया जाएगा और इनके स्थान पर नए भवनों का निर्माण किया जाएगा.
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट बताते हुए इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने तो प्रोजेक्ट को रोकने की याचिका करने वालों पर ₹1,00,000 का जुर्माना भी लगाया था.
इसके बावजूद प्रोजेक्ट को रोकने के लिए विपक्ष द्वारा विभिन्न हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, अब उसे सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास शुरू किया है.