पंथ निहारत, डगर बहारथ, होता सुबह से शाम.
कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम..
श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमित्त देश में उत्साह का अवसर है. राम भक्तों की टोलियां समारोह में सम्मिलित होने के लिए घर-घर देकर पूजित अक्षत के साथ निमंत्रण दे रही हैं. जिनके घर अभी राम भक्त नहीं पहुंचे हैं, वे बेसब्री से उनके आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
कोहरे वाली सर्दी में राम भक्त रामकाज में जुटे हैं. घर-घर संपर्क में बेहिचक डोर-बेल बजा रहे हैं, कोई क्या कहेगा इसकी चिंता नहीं. कार्यकर्ताओं द्वारा बताए जाने पर परिवार जन भी भाव-विभोर हो पूजित अक्षत ग्रहण कर रहे हैं. कुछ तो समर्पण राशि देने की भी इच्छा जता रहे हैं, लेकिन अभी कुछ लेने का नहीं हर्षोल्लास का समय है.
दिल्ली के उत्तम नगर में रामभक्त परिवारों से संपर्क कर रहे हैं. एक सुबह चितरंजन जी के निवास पर बाऊजी व उनकी श्रीमती को पूजित अक्षत और सामग्री देकर बैठे थे. उनकी श्रीमती जी चाय बनाने रसोई में चली गईं. बाहर हम लोग 500 वर्ष के संघर्ष और इस शुभ अवसर को लेकर चर्चा कर रहे थे. बाऊजी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि अपनी आंखों से राम मंदिर बनता देख रहा हूं, कितनी पीढ़ियां यह स्वप्न देखते-देखते चली गईं.
इतने में उनके घर में काम करने वाली मेड भी आ गई और अंदर रसोई में चली गई. मेड के पूछने पर उसे बताया कि भगवान राम जी के यहां अक्षत लेकर 22 जनवरी (रामलला की प्राण प्रतिष्ठा) के कार्यक्रम के लिए निमंत्रण देने आए हैं. 22 जनवरी को घर के समीप के मंदिर में जाकर उत्सव मनाना है.
प्रश्न सूचक दृष्टि के साथ मेड ने पूछा कि क्या ये अक्षत मुझे भी मिल सकते हैं? जैसे ही रामभक्तों ने यह सुना, वे तुरंत अक्षत देने के लिए खड़े हो गए. मेड ने हाथ धोकर सिर ढका तथा अपने आँचल में पूजित अक्षत ग्रहण किये. यही तो है श्रीराम की लीला, किसी भी रूप में शबरी तक पहुँच जाते हैं.