जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि सच्चा शिक्षक वही है, जो नित्य नूतन व चिर पुरातन के राष्ट्रीय दर्शन को समझते हुए देश के युवाओं का मार्गदर्शन करे. हमें स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर जाना है. 1947 में हमें जो स्वाधीनता मिली, उसमें समाज के सभी वर्गों का योगदान था. उस समय जिन हुतात्माओं ने राष्ट्र के लिए अपने आप को होम कर दिया, उनके मन में एक स्वतन्त्र और समरस भारत की कल्पना थी. हमें इस कल्पना को साकार करना होगा और इसके लिए पाठ्यक्रमों की पुनर्रचना करनी होगी, क्योंकि पाठ्यक्रमों में धरातल पर कठोर संघर्ष करने वाले वीर-वीरांगनाओं को यथोचित स्थान नहीं मिला है. अकादमिक दृष्टि से भारत के स्वत्व का विमर्श होना आवश्यक है और रुक्टा जैसे ऊर्जावान संगठन यह कार्य कुशलतापूर्वक कर सकते हैं.
निम्बाराम राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रान्तीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. दो दिवसीय आयोजन का कर में समापन हुआ. सम्मेलन में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर ने कहा कि महासंघ भारत के वास्तविक सांस्कृतिक स्वरूप का उद्घाटन करने व स्वतंत्रता संघर्ष के मूल चिन्तन को लोक तक पहुँचाने के लिए कार्यक्रमों की एक शृंखला के साथ आगे बढ़ रहा है और राष्ट्रीय धारा के शिक्षक इस कार्य में समर्पण-भाव से लगे हुए हैं.