बंजारा समाज विश्वव्यापी और हम सब सनातनी हिन्दू – गुरु शरणानंद जी महाराज
जामनेर. अखिल भारतीय हिन्दू गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समाज कुंभ आज (२५ जनवरी) से शुरू हुआ. मंच पर पोहरागढ़ के मुख्य गादीपती पू. संत बाबूसिंह जी महाराज, अ. भा. धर्म जागरण प्रमुख शरदराव ढोले, पू. महामंडलेश्वर गुरू शरणानंद जी महाराज, पू. संत गोपाल चैतन्य जी महाराज, संत सुरेश जी महाराज, संत देनाभगत जी महाराज, संत यशवंत जी महाराज, संत जीतेंद्रनाथ जी महाराज, आचार्य साहेबराव जी शास्त्री, महंत संग्रामसिंह जी महाराज, संत रायसिंह जी महाराज आदि संत उपस्थित थे.
पू. संत बाबूसिंह जी महाराज ने कहा कि आठ राज्यों में ११ हजार समूहों (तांडों) में से ३ हजार तांडों में ईसाई मिशनरियों द्वारा बंजारा बंधुओं का धर्मांतरण किया जा चुका है. उन सबको फिर से सनातन धर्म में हम लाएंगे. हिन्दू गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समाज को जागृत करने तथा समाज को दिशा देने हेतु कुंभ आयोजित किया गया है.
बंजारा समुदाय के कुंभ में मथुरा से संत पधारे हैं. कर्नाटक, महाराष्ट्र व गुजरात आदि राज्यों से समुदाय के सदस्य तथा संत सहभागी हुए हैं. गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समुदाय में महान संत होकर गए हैं. समाज को सुसंगठित रखने के लिए कुंभ का आयोजन है. भक्तिमार्ग से हमें दिशा मिलती है. समाज को जागृत करने संत मंच पर उपस्थित हुए हैं. बंजारा समुदाय का प्रथम कुंभ गोद्री में हो रहा है और यह ऐतिहासिक व अविस्मरणीय क्षण है.
श्री बाला जी भगवान, गुरुनानक देव जी साहेब, भारत माता और संत सेवालाल महाराज की प्रतिमाओं को पुष्पमाला अर्पित कर व दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम शुरू हुआ.
धर्म जागरण प्रमुख शरदराव ढोले ने कहा कि देश का वैभव देखकर विदेशी आक्रमण हुए. जिन ग्रीकों ने आक्रमण किया, वे हिन्दू बन गए. इस्लाम का आक्रमण अलग था. वे क्रूर थे और उन्होंने तलवार के सहारे लाखों लोगों का धर्मांतरण किया. इसाईयों द्वारा छल, कपट के माध्यम से धर्मांतरण शुरू हुआ. यह धर्मांतरण केवल पूजा पद्धति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अलग राज्य और अलग देश की मांग तक जा पहुंचा. पूर्वांचल में ७ में से ४ राज्यों में ईसाईकरण हुआ. बंजारों के ११ हजार समूहों में से ३ हजार समूहों पर धर्मांतरण हुआ. बंजारा समुदाय का धर्मांतरण न हो तथा धर्मांतरण रोकने के लिए सैकड़ों संत यहां आए हैं.
संत गोपाल चैतन्य जी महाराज ने आशीर्वचन में कहा कि अपने कुंभ में सभी महापुरुषों को आमंत्रित किया गया है. संत समाज धर्मरक्षण का काम करता है. तीन हजार समूहों में धर्म परिवर्तन हुआ है, इसलिए कुंभ की आवश्यकता आन पड़ी है. हिन्दू समाज में जागरण हेतु तथा धर्म की रक्षा के लिए यह कुंभ है.
संत सुरेश जी महाराज ने कहा कि हम भारत को भारतमाता कहते हैं. हम सनातनी हैं और सनातनी रहेंगे. सीमा पर सैनिक भारतमाता की रक्षा के लिए खड़ा रहता है, जबकि धर्म के लिए संत समाज में खड़े रहते हैं.
पू. महामंडलेश्वर शरणानंद जी महाराज ने कहा कि बंजारा समाज व्यापक है. यह समुदाय व्यापारी था. बंजारा समुदाय पूरे देश में फैला है और धार्मिक है.
धर्मसभा के मुख्य क्षण
मंच पर महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में गीत गाते हुए संतों का स्वागत किया. शाहीर सुरेश जाधव ने अपने साथियों के साथ “वीर लखीशहा बंजारा” पोवाड़ा पेश किया. जगदंबा देवी का गोंधल भी मंच पर पेश किया गया.