चीन – एक वैश्विक खतरा (तियानमेन चौक नरसंहार से लेकर कोविड-19 तक) विषय पर आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार के चौथे दिन “चीन वैश्विक खतरा : रक्षा परिप्रेक्ष्य” विषय पर चीन के विशेषज्ञ एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने व्याख्यान दिया.
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर के चीन बड़ा खतरा है, इस विषय पर उन्होंने कहा कि चीन ने 1978 से विज्ञान एवं तकनीक, कृषि, व्यवसाय और सेना के आधुनिकीकरण की ओर बहुत तेजी से बढ़ना शुरू कर दिया था. चीन के आधुनिकीकरण में अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों ने बड़े स्तर सहयोग भी किया था. तब से लेकर वर्तमान परिस्थितियों में चीन के आधुनिकीकरण की वजह से वह वैश्विक स्तर पर बहुत बड़े आयामों को अर्जित कर चुका है, जिसकी वजह से बीते वर्ष उसकी अर्थव्यवस्था 14 ट्रिलियन अमेरिकन डॉलर तक पहुंच चुकी है.
उन्होंने बताया कि 1990 से चीनी सेना के बजट पर 10% का इजाफा किया गया है. जिसकी वजह से चीनी सेना का बजट अधिकारिक रूप में तो 200 बिलियन डॉलर है. मगर, कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों के अनुसार चीनी सेना का बजट 250 बिलियन डॉलर के लगभग है.
उन्होंने कहा कि गलवान घाटी मामले में चीन ने चार सैनिकों की मृत्यु को स्वीकारा, मगर 45 चीनी सैनिकों के मरने की संभावना जताई गई है. चीन की लगातार बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर बहुत सारे देश एक साथ संगठित होकर चीन के खिलाफ हो गए हैं.
फरवरी 2012 में शी जिनपिंग जब उप-राष्ट्रपति थे, तब वाशिंगटन पोस्ट में दिए उनके एक इंटरव्यू में अमेरिका और चीन दोनों देशों को एक साथ मिलकर के प्रशांत महासागर पर समझौता करने की बात कही थी.
दरसअल, उनका कहने का तात्पर्य यह था कि प्रशांत महासागर में चीन को भी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. जुलाई 2010 के तत्कालीन चीनी विदेश मंत्री ने सिंगापुर के विदेश मंत्री से यह कहा कि चीन एक बहुत बड़ा देश है और सिंगापुर एक बहुत छोटा देश है. आप लगभग सभी चीजो में बहुत कमजोर हैं तो ऐसे में आपको चीन की सारे आदेशों को मानना पड़ेगा, हमारे द्वारा कही गई सभी बातों को सुनना पड़ेगा. सभी छोटे देशों को संदेश दिया जैसे कि नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे देश के सामने चीन बहुत बड़ा देश हैं.
दरअसल, चीनी विदेश मंत्री यह संदेश देना चाहते थे कि जितने भी छोटे देश हैं, वह सब चीन के दबाव में है. कुछ दिनों पहले एक बैठक के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी के एक सदस्य ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका अपने सैन्य बल का उपयोग अन्य देशों को दबाने के लिए किया करता है. जबकि उनके कहने का मतलब कुछ और ही था.
प्रोफेसर श्रीकांत ने कहा कि चीन साम्यवाद को अन्य देशों में बढ़ाने के लिए काम कर रहा है और यह विश्व के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है.
उन्होंने बताया कि चीन हमेशा से यह कहता है कि उसके अन्य देशों में आर्मी के बेस कैंप नहीं, मगर चीन ने 2015 में ही पाकिस्तान में अपना कैम्प बना लिया है. श्रीलंका के हंबनटोटा में अपना एक मिलट्री बेस कैंप बना चुका है. कजाकिस्तान में भी बेस कैम्प है. चीन का यह कार्य भी पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ा खतरा है. इस प्रकार से चीन का लीबिया, सीरिया जैसे अन्य देशों पर दबदबा है.
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से दक्षिणी चीन सागर में चीन के सैन्य अभ्यास लगातार बढ़ रहे हैं, यह भी विश्व के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है. 12 चीनी वायु सेना के विमान मलेशिया में जाकर सीमा का उल्लंघन करके लौटे, यह भी बड़े खतरे का संकेत है. चीन पूरे विश्व में ग्लोबलाइजेशन का नेतृत्व करना चाहता है. मुक्त व्यापार के दौरान चीन के रवैये को लेकर कई शिकायतें आई हैं. चीन की कथनी और करनी में भी अंतर देखने को मिल रहा है, इसने भी विश्व को चीन के प्रति आशंकित किया है.
एक प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रो. श्रीकांत ने कहा कि चीन सिर्फ अपनी आर्मी की बदौलत ही नहीं, बल्कि साइबर क्राइम के जरिए भी पूरे विश्व में एक बहुत ताकतवर तानाशाह देश बनकर उभर रहा है.
उन्होंने बताया कि मुंबई के एक अस्पताल में दो-तीन घंटे के लिए बिजली गुल हो गई थी, इस मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरीके से अचानक अस्पताल की बिजली चले जाना, चीन की तरफ से किया गया साइबर अटैक है. उन्होंने कहा कि जहां सीमा पर चीन के 60 हजार सैनिक तैनात हैं तो वहीं भारत के 90 हजार सैनिक लद्दाख में सीमा पर तैनात हैं. मगर इन सबके बीच साइबर अटैक का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है. क्योंकि हम बहुत बड़े स्तर पर तकनीक पर निर्भर हैं.
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि चीन की वुहान लैब में कोरोना वायरस की उत्पत्ति हुई है. पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाई जम्मू कश्मीर की भूमि पर चीनी आर्मी के 30 हजार जवान तैनात हैं और यह भारत के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक है.
परिचय –
प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली अनेक मीडिया प्लेटफॉर्म, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना व्याख्यान दे चुके हैं. दिल्ली में स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में श्रीकांत कोंडापल्ली चीनी अध्ययन विभाग में प्राध्यापक हैं, चीन के विषयों पर उनका गहरा अध्ययन है.