नई दिल्ली. सीएसआईआर की नई इकाई, सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर), नई दिल्ली ने बच्चों में कोविड-19 के बारे में आधे दिन का एक ऑनलाइन सत्र आयोजित किया. यह सत्र कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रकोप और बच्चों पर इसके प्रभाव, खतरों और बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी प्रोटोकॉल पर केन्द्रित था. वेबिनार के मुख्य अतिथि डॉ. वी. विजयलक्ष्मी, अतिरिक्त आयुक्त (अकादमिक), केवीएस (मुख्यालय), नई दिल्ली थीं और अतिथि वक्ता श्री बालाजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसबीएमसीएच), चेन्नई, तमिलनाडु के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के कार्यकारी बोर्ड सदस्य 2021 प्रोफेसर डॉ. आर. सोमशेखर थे. कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों, संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों और विभिन्न स्कूलों के छात्रों सहित लगभग 150 प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक डॉ. रंजना अग्रवाल ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में ‘जिज्ञासा’, के जरिए दो संस्थानों, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के बीच असाधारण संबंधों पर प्रकाश डाला. ‘जिज्ञासा’ ने वास्तव में न केवल छात्रों के बीच एक सराहनीय प्रभाव पैदा किया है, बल्कि वैज्ञानिकों में भी उत्साह जगाया है. उन्होंने कहा कि ‘जिज्ञासा’ छात्रों को सीधे वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान करता है और इस तरह युवा दिमाग को नवीन सोच और दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करता है.
डॉ. वी. विजयलक्ष्मी, अतिरिक्त आयुक्त (अकादमिक), केवीएस ने कहा कि ‘जिज्ञासा’ छात्रों के लिए एक सपने के सच होने जैसा है क्योंकि यह वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने और उनके काम को करीब से देखने का एक मंच प्रदान करता है. यह संबंध उनके संस्थान के लिए काफी सफल रहा है. डॉ विजयलक्ष्मी ने कहा कि अभूतपूर्व कोविड-19 महामारी ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. इसने सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक जीवन और बच्चों के मानस को प्रभावित किया है. इसकी वजह से उन्हें पढ़ाई के अलावा खेलने के अधिकार से वंचित होना पड़ा है, भले ही वह उनके साथियों के साथ ही क्यों न हो. कैसे हमारे शिक्षक बच्चों को शिक्षित करने के दबाव से निपटने के लिए रातों रात आईटी-प्रेमी तकनीकी विशेषज्ञ बन गए.
एसबीएमसीएच, चेन्नई के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर और आईएपी केईबी सदस्य प्रो. आर. सोमशेखर, ने सूक्ष्म विवरणों को शामिल करते हुए “बच्चों में कोविड-19: खतरे और सावधानियां” विषय पर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बच्चों में कोविड-19 का अभी भी मध्यम असर है. भले ही बच्चे सार्स-कोव-2 वायरस की चपेट में हैं, फिर भी उनमें से अधिकांश बिना लक्षण वाले हैं और मात्र 1-2% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. डॉ. सोमशेखर ने माता-पिता को वयस्कों से संक्रमण के संचरण की संभावना और इन दिनों बच्चों में बढ़ते जठरांत्र संबंधी लक्षणों के बारे में आगाह किया. उन्होंने समझाया कि अन्य फ्लू और सामान्य सर्दी के बीच कोविड -19 लक्षणों की पहचान और अंतर कैसे करें.
डॉ. सोमशेखर ने कहा कि कोविड -19 ने अब तक कर्नाटक को छोड़कर भारत में बच्चों को ज्यादा प्रभावित नहीं किया है. उन्होंने बच्चों के लिए कोविड-19 के उपचार के विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की. हमारे दैनिक जीवन में अपनाए जाने लायक कुछ उपायों के बारे में सुझाव दिया : शारीरिक व्यायाम, बच्चों के साथ खेलना, स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों से बचना, अच्छी नींद, मास्क पहनना, संतुलित आहार और उम्र के अनुसार टीकाकरण. सबसे महत्वपूर्ण बात के रूप में, उन्होंने लक्षणों और बच्चे के व्यवहार में बदलाव पर कड़ी नजर रखने की सलाह दी.
डॉ. वाई. माधवी, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने चर्चा का संचालन किया और समापन सत्र का सार प्रस्तुत किया. आर. एस. जयसोमू, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया. डॉ. एन. के. प्रसन्ना, वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.