मुंबई. महाराष्ट्र में भी अर्बन नक्सलियों पर जल्द शिकंजा कसने वाला है. बीते दिनों महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान ‘महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक’ पेश किया गया.
प्रश्न यह कि बिल में ऐसा क्या है कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट इकोसिस्टम बौखलाया हुआ है. यह बिल महाराष्ट्र में शहरी माओवादियों या अर्बन नक्सलियों के लिए संकट साबित होने वाला है.
जिस तरह से छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और ओडिशा में पहले से ही शहरी माओवादियों से निपटने के लिए इस तरह का कानून मौजूद है, ठीक उसी तरह से महाराष्ट्र में भी कानून बनने की संभावना है.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा पेश बिल के अनुसार किसी संदिग्ध संगठन को सरकार गैरकानूनी घोषित कर सकती है. बिल में चार ऐसे अपराध भी शामिल किए गए हैं, जिसके लिए सजा हो सकती है. जैसे किसी गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना, या उक्त संगठन के लिए धन एकत्रित करना या ऐसे संगठन की मदद करना, ये गतिविधियां इसमें शामिल हैं.
शीतकालीन सत्र के दौरान ही देवेंद्र फडणवीस ने भारत जोड़ो यात्रा के ‘माओवादी कनेक्शन’ पर सवाल उठाए थे. आरोप लगाया कि भारत जोड़ो यात्रा में कई ‘अर्बन नक्सल’ संगठन शामिल थे.
आरोप यह भी कि इनकी एक बैठक काठमांडू में हुई थी, जिसका उद्देश्य भाजपा शासित सरकारों को अस्थिर करना था. महाराष्ट्र एटीएस की जांच की शुरुआती आशंकाओं को इंगित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनावों में आतंकवादी धन का उपयोग और विदेशी हस्तक्षेप के प्रमाण भी मिले हैं.
जॉर्ज सोरोस के फाउंडेशन के वाइस प्रेसिडेंट सलिल शेट्टी भारत जोड़ो यात्रा में दिखाई दिए थे. भारत जोड़ो यात्रा में माओवादियों के मानवाधिकार की बात करने वाली मेधा पाटकर जैसे कम्युनिस्ट भी शामिल थे. ऐसे में आरोप गंभीर दिखाई देते हैं.
महाराष्ट्र में अर्बन माओवादियों की गतिविधियों की बात करें तो वर्ष 2018 में माओवादियों-शहरी नक्सलियों के गठजोड़ ने एक ऐसा दंगा कराया था, जिसके जख्म अभी भी ताजा हैं.
भीमा कोरेगांव में हुए दंगे के बाद देश भर से कई शहरी माओवादियों को गिरफ्तार किया गया था. वरवरा राव, स्टेन स्वामी, गौतम नवलखा, वर्नोन गोंजाल्विस जैसे कई अर्बन नक्सली पुलिस के हत्थे चढ़े थे.
शहरी माओवादियों के गिरफ्तार होने के बाद पूरे विषय पर कम्युनिस्टों के अंतरराष्ट्रीय इकोसिस्टम ने हाथ-पैर मारना शुरू कर दिया था, कांग्रेस का पूरा तंत्र तिलमिला उठा, जंगल में बैठे माओवादी बौखला गए थे.
ऐसी परिस्थिति में अब महाराष्ट्र सरकार अर्बन नक्सलियों पर शिकंजा कसने के लिए एक ऐसा कानून बनाने जा रही है, जो इनकी पूरी रणनीति को विफल कर इन्हें सलाखों के पीछे डाल देगा. यह माओवादी आतंक और माओवादी विचार के विरुद्ध एक कड़ा प्रहार होगा.