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राष्ट्र का सांस्कृतिक विकास कभी भी कांग्रेस के एजेंडे में नहीं था

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नोएडा. प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, प्रेरणा जन सेवा न्यास और केशव सम्वाद पत्रिका द्वारा नोएडा के सेक्टर-12 स्थित सरस्वती शिशु मन्दिर में पाँच दिवसीय प्रेरणा विमर्श – 2022, मीडिया कॉन्क्लेव एवं फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन पत्रकार एवं लेखन विमर्श विषय पर कार्यशाला का आयोजन हुआ.

कार्यशाला के प्रथम सत्र में पत्रकारिता कर्तव्य और राष्ट्र विषय पर विमर्श हुआ. इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उदय माहुरकर जी उपस्थित रहे.

उन्होंने कहा कि आज के टीआरपी के दौर में पत्रकारिता विषय कठिन भी है और दिलचस्प भी है. उन्होंने बताया कि गुजरात दंगों के दौरान कैसे उनके लिखे तथ्यों को बदलकर उनके ही नाम पर एक फेक नैरेटिव चलाने का प्रयास हुआ. लेकिन उन्होंने साहस दिखाया और उन चीजों का विरोध किया. जिसका फर्क यह पड़ा कि उनका ही लेख बिना बदलाव के गया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा गलत नीतियों पर चलती रही है. उदाहरण के तौर पर उन्होंने महाकाल मन्दिर के बारे में कहा कि महाकाल मन्दिर को कई बार तोड़ा गया, कई बार बनाया गया. अभी हाल ही में महाकाल मन्दिर का कॉरिडोर बनाया गया. जो वास्तव में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का विषय है. ये पहले भी हो सकता था क्योंकि महाकाल मन्दिर पर कभी कोई विवाद नहीं था. न ही ये कभी कोर्ट का मामला था. ये कॉरिडोर तो बहुत पहले ही बन जाना चाहिए था. चूंकि राष्ट्र का सांस्कृतिक विकास कभी भी कांग्रेस के एजेंडे में नहीं था. राष्ट्र प्रथम के बदले सत्ता में बने रहने के लिए उन्होंने हमेशा मुस्लिम तुष्टीकरण को अपने शासन का मूलमंत्र बना लिया.

मुख्य वक्ता ब्रजेश सिंह (ग्रुप एडिटर, इंटिग्रेशन एवं कन्वेर्जेंस नेटवर्क -18) ने कहा कि आज का समय बहुत अनुकूल है. क्योंकि केंद्र में एक राष्ट्रीय सरकार है. आधुनिक पत्रकारिता की परिकल्पना में हमें सोचना होगा, आज की पत्रकारिता राष्ट्र की बुनियादी आवश्यकता के अनुसार कहां है. पश्चिम मीडिया भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करता है. आज के समय में जब कोई राष्ट्र की बात करता है तो उसे फैशनेबल नहीं माना जाता है. जब कोई टुकड़े-टुकड़े गैंग के खिलाफ बोलते हैं, लिखते हैं तो कहा जाता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाया जा रहा है. देश में बहुत से बुद्धजीवी लोग ऐसे हैं जो पश्चिमी मीडिया के नैरेटिव को आगे बढ़ाते हैं. मंच का संचालन संसद टीवी के वरिष्ठ पत्रकार एवं एंकर प्रतिबिंब शर्मा ने किया.

पत्रकार एवं लेखन विमर्श के द्वितीय सत्र में खेमों में बंटी पत्रकारिता, कितना सच है आरोप, विषय पर विमर्श हुआ. इस सत्र में मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार के अवधेश कुमार जी उपस्थित रहे.

उन्होंने खेमों में बंटी पत्रकारिता विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि जीवन में कोई भी ऐसा विषय नहीं है, जिस पर सभी एकमत हों. खेमे बन्दी भी सार्वजनिक जीवन में काम करने के लिए ऊर्जा प्रदान करती है. पत्रकारिता, समाज और राजनीति सहित सभी जगह खेमे बन्दी है. मैं पत्रकारिता की सभी विचारधाराओं का सम्मान करता हूं. जब तक कि वह पत्रकारिता राष्ट्र को नुकसान न पहुंचाए.

सत्र में मुख्य वक्ता स्वराज के कन्सलटिंग एडिटर एवं क़ॉलमनिस्ट डॉ. आनंद रंगनाथ ने कहा कि सच के साथ खड़ा होना कोई खेमा बन्दी नहीं है. मैं तो सच के साथ हूं. सच कई प्रकार के नहीं होते हैं. सच एक ही प्रकार का होता है. कई लोग उस सच को दिखाने के लिए अलग अलग प्रारूपों का इस्तेमाल करते हैं. जिसमें सच का स्वरूप बदल जाता है. पत्रकारिता में सरकार के खिलाफ आलोचना के लिए स्पेस होना चाहिए जो आज की पत्रकारिता में नहीं दिखता.

उन्होंने कहा कि एक समय था, जब ये लेफ्ट स्लोगन दिया करते थे – इंदिरा मतलब इंडिया, इंडिया मतलब इंदिरा. आज यही लोग देश मतलब मोदी के नैरेटिव में फंसाना चाहते हैं. लेकिन मुझे इनके नैरेटिव में नहीं फंसना है. देशहित में, राष्ट्रहित में काम करने की आवश्यकता है. सारे ISM (इज़्म) से दूर रहना है, लेकिन क्रिटिसिज़म से दूर नहीं भागना है.

विमर्श के तीसरे सत्र में लेखनी गढ़ती भविष्य का भारत विषय पर विमर्श हुआ. सत्र के मुख्य वक्ता अनुज धर जी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु से जुड़े तथ्यों पर विस्तृत रूप से चर्चा की. इस दौरान उन्होंने उनसे जुड़े तथ्यों को फिल्मों के माध्यम से लोगों को अवगत कराया. उन्होंने बताया कि 1947 में जो आजादी मिली, वह वास्तव में आजादी नहीं ऐटार्नी ऑफ पावर थी. इस दौरान उन्होंने गांधी परिवार की भी काफी आलोचना की.

सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. प्रमोद कुमार (अधिष्ठाता छात्र कल्याण भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली) उपस्थित रहे. सत्र का संचालन संसद टीवी के वरिष्ठ पत्रकार एवं एंकर रामवीर श्रेष्ठ ने किया.

 

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