नई दिल्ली. ऑक्सफोर्ड छात्र संघ की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष निर्वाचित होकर इंग्लैंड स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इतिहास बनाने वाली रश्मि सामंत को पूर्व में उनके द्वारा की गई एक पोस्ट के आधार पर बलपूर्वक पद से इस्तीफा दिलवाना तथा पूरे मामले से अलग उनके माता-पिता की धार्मिक आस्था पर वि.वि. के एक प्राध्यापक द्वारा घृणित टिप्पणी की अभाविप कड़ी आलोचना करती है और विश्वविद्यालय प्रशासन से दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग करती है.
किसी भी विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनाव की एक प्रक्रिया होती है, जिसके अनुसार प्रतिनिधि चुन कर आते हैं. ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में रश्मि सामंत को बलपूर्वक पद-मुक्त कर इस चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को तार-तार किया है तथा अपने चिर परिचित नस्लीय भेदभाव का भी परिचय दिया है. किसी भी छात्र प्रतिनिधि का उसके पद से इस्तीफा मात्र इसलिए दिलवाना कि वह किसी विशेष धर्म का अनुसरण करता है, वहाँ की स्थानिक संस्कृति से नहीं आता, यह निंदनीय कदम है. ऐसी घटनाओं पर विराम लगना चाहिये जो अभिव्यक्ति की आजादी पर भाषण अवश्य देते है, परंतु अन्य की अभिव्यक्ति एवं धार्मिक आस्था के प्रति निष्ठुर हैं.
अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, “ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में हुई ऐसी घटना बेहद शर्मनाक है तथा विश्वविद्यालय प्रशासन का इस घटना पर चुप रहना अत्यंत निंदनीय है. देश के कुछ कथित रूप से बुद्धिजीवी अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करने वाले लोग आज रश्मि सामंत पर चुप क्यों है ? रश्मि की इस अन्याय के विरुद्ध लड़ाई में भारत के छात्र-छात्राओं का समर्थन रश्मि सामंत के साथ है.”