काशी. काशी में कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्यास्त के पश्चात घाटों पर उभरे अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय दृश्य के साक्षी काशीवासी ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के कोने कोने से आए हजारों लोग भी बने. सूरज के अस्ताचल होते ही गंगा घाट पर असंख्य दीपमाला की रोशनी में भागीरथी की लहरें आह्लादित हो उठीं. त्रिपुर राक्षस पर देवों की विजय का पर्व देव दीपावली पर महादेव की नगरी काशी में सूरज के मद्धिम होते ही भक्ति भाव में डूबे लोग तेज कदमों से विश्व के सबसे बड़े जलोत्सव को मनाने जाह्न्वी तट की ओर भागे जा रहे थे.
देवाधिदेव महादेव की नगरी के पथरीले घाटों पर सायं साढ़े पांच बजे पंचगंगा घाट स्थित हजारा दीप स्तंभ के आलोकित होते ही गोंधुली बेला में जब बीस लाख से अधिक दीपक एक साथ जगमगाए तो इहलोक में साक्षात देवलोक का दृश्य दिखाई देने लगा. इस दृश्य की प्रतीक्षा कर रहे लाखों लोग घाट किनारे सीढ़ियों, भवनों और नावों पर अपनी जगह सुरक्षित कर देव दीपावाली की झांकी के स्वर्णिम क्षण का प्रत्यक्षदर्शी बनने के लिए आतुर थे. लोगों के सामने एक नयनाभिराम दृश्य था. इस अद्भुत झांकी की एक – एक झलक लोगों को भाव विभोर कर रही थी. लाखों लाख दीपवर्तिकाओं से सजाई गई विविध आकृतियों वाली रंगोलियों और अल्पनाओं की शोभा अभिवंदनीय थी. श्रद्धालु घाटों पर आते जा रहे थे और एक दीपशिखा से दूसरी दीपशिखा जलाते जा रहे थे. इसके अतिरिक्त नगर के 30 से भी अधिक सरोवरों पर दीपदान के साथ गंगा पूजन एवं गंगा आरती के अनुष्ठान श्रद्धा के साथ संपन्न हुए.
मां गंगा की महाआरती बलिदानियों को रही समर्पित
गंगा सेवा निधि की ओर से आयोजित मां गंगा की महाआरती देश पर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बलिदानियों को समर्पित रही. कारगिल विजय युद्ध के सेनानायक ले. जनरल मोहिंदर पुरी को भगीरथ अलंकरण से सम्मानित किया गया. अमरवीर योद्धाओं अश्वनी कुमार यादव एवं धरम देव कुमार को मरणोपरांत भगीरथ शौर्य सम्मान से सम्मानित किया गया. दशाश्वमेध घाट पर 21 बटुक और 51 देवकन्याओं ने मां गंगा की आरती की. अंत में 39 जीटीसी के जवानों ने आकाशदीप प्रज्ज्वलित किया.
कॉरिडोर के लोकार्पण के पश्चात श्री काशी विश्वनाथ धाम पहली बार गंगधार से एकाकार होने जा रहा था. इस उल्लास में परिसर को 50 टन पुष्पों से सजाया गया. राजा चेतसिंह सहित अन्य घाटों पर लेजर शो की किरणें गंगा में इंद्रधनुष बना रही थी. गंगा के समक्ष रेती में संगीतमय इंद्रधनुष हरित आतिशबाजी से गंगा के आकाशगंगा से मिलन का ओज भर रहे थे.
काशी की महान विभूतियों को दी गई श्रद्धांजलि
देव दीपावली पर काशी से जुड़े महान सपूतों को श्रद्धांजलि दी गई. अस्सी घाट पर महामना मदन मोहन मालवीय, तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास, हरिश्चंद्र घाट पर डोम राजा, सिंधिया घाट पर तैलंग स्वामी और स्वामी विवेकानंद जैसी विभूतियों के चित्रों के समक्ष दीप जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इसके अतिरिक्त संगीतकार भारत रत्न पं रविशंकर, भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, पद्मविभूषण पं किशन महाराज, पद्मविभूषण गिरिजा देवी, पद्मभूषण पं राजन मिश्रा, साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद को भी दीपांजली दी गई.
विश्व स्तरीय इस आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति हुई. भैसासुर घाट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में श्रोताओं ने भजन गंगा में डुबकी लगाई तो नामचीन कलाकारों के सूफी गायन ने आनंदित भी किया.