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सूचनाओं के संवाहक, धर्म के प्रचारक तथा सर्वलोकहितकारी हैं देवर्षि नारद – राजेन्द्र सक्सेना

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काशी. आद्य पत्रकार देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक कल्याण के कार्यों में सदैव प्रयत्नशील रहते हैं. इसी कारण देवर्षि नारद जी को सूचनाओं का संवाहक, धर्मशास्त्रों का सृजनकर्ता देव-दैत्य सभी के मित्र सर्वलोकहितकारी तथा इन्द्र लोक का स्वतंत्र पत्रकार कहा जाता है.

राजेन्द्र सक्सेना ने देवर्षि नारद जयन्ती कार्यक्रम को सम्बोधित किया. लंका स्थित विश्व संवाद केन्द्र के माधव सभागार में देवर्षि नारद के जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राजेन्द्र सक्सेना ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 1997 से लगातार देवर्षि नारद जयन्ती को विश्व पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाता है. सामान्य रूप से सभी पत्रकार, सम्पादक 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाते हैं. परन्तु 30 मई 1826 को पं. जुगल किशोर शुक्ला जी ने कलकत्ता से पहला हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ नाम से प्रकाशित किया. जिसके सम्पादकीय में उल्लेख है कि 30 मई, 1826 को ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया देवर्षि नारद जयन्ती का पर्व है, इस कारण यह प्रथम सोपान उन्हें समर्पित है.

वक्ता ने कहा कि पहले पत्रकारिता मूल्यपरक थी, अब व्यावसायिक पत्रकारिता है. हर तरफ सोशल मीडिया की पत्रकारिता हावी हो रही है, जिस कारण समाज दूषित हो रहा है.

‘माला, मंच और माइक’ से दूर रहने वाले संगठन संघ को प्रचार विभाग की आवश्यकता क्यों पड़ी? वास्तव में समाज में संघ की सही जानकारी देना प्रचार विभाग का कार्य है. यह व्यक्ति का प्रचार नहीं करता, अपितु विचारों और व्यक्ति के सकारात्मक कार्यों का प्रचार करता है.

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि वर्तमान में मीडिया तीन सिद्धांतों पर कार्य करता है – सूचना, समाचार  और मनोरंजन. नारद जी की पत्रकारिता में भी यह तीनों तथ्य मिलते हैं. नारद जी की पत्रकारिता पेपर लेस थी. वर्तमान में भी पत्रकारिता पेपरलेस की ओर बढ़ रही है. प्राचीन काल की पत्रकारिता में महाभारत काल का अध्ययन करने पर यह मिलता है कि अर्जुन जैसा प्रश्नकर्ता, कृष्ण जैसा उत्तरदाता एवं संजय जैसा एंकरिंग करने वाला व्यक्ति दुर्लभ है. महाभारत काल में हमें पत्रकारिता के 6 ‘क‘कार (क्या, कहां, क्यों, कब, किसने, किसके द्वारा) मिलता है. आधुनिक पत्रकारिता में इस सिद्धान्त का प्रयोग 1892 में रूडयार्ड किपलिंग ने किया. वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अत्रि भारद्वाज ने कहा कि देवर्षि नारद जी की पत्रकारिता में समाजहित छिपा हुआ है. वास्तव में पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है, यह कहीं भी लिखित नहीं मिलता, परन्तु उसकी विश्वसनीयता उसे मजबूत स्तम्भ बनाती है. वर्तमान काल पत्रकारिता में संक्रमण का काल है. ऐसे में देवर्षि नारद की पत्रकारिता धर्मनिष्ठ, सत्यनिष्ठ, संवाद एवं सामंजस्य स्थापित करने की पत्रकारिता है.

कार्यक्रम का प्रारम्भ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं भारत माता व देवर्षि नारद के चित्र पर पुष्पार्चन से हुआ. स्वागत एवं अतिथि परिचय विश्व संवाद केन्द्र काशी के सचिव प्रदीप कुमार ने किया.

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