विवाद मुक्त गांव ही समरस भारत की कुंजी

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चित्रकूट. विवाद समाप्त करने का मूल मंत्र है, लोगों में आपसी भाईचारे को कायम करना और उनमें आपसी विश्वास पैदा करना. ग्रामीण बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं. उनका स्वभाव थोड़ा अलग होता है. छोटी-छोटी बात पर नाराज और खुश हो जाते हैं, परंतु संवेदना और विश्वास उनकी सबसे बड़ी पूंजी है. दोनों पहलुओं को सही दिशा में लाने का काम किया जाए तो नतीजा अनुकूल आ सकता है. इसके लिए आपस में संवाद बहुत महत्वपूर्ण है, जब हमारे गांव विवाद मुक्त होंगे तो निश्चित तौर पर समरस समाज की ओर भी हम अग्रसर होंगे. दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा विवाद मुक्त गांव विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार का में वक्ताओं ने विचार व्यक्त किये.

दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा “विवाद मुक्त गांव ही समरस भारत की कुंजी” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य रुप से दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा चित्रकूट मॉडल पर किए कार्यों पर परिचर्चा हुई. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन एवं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल एवं भारत सरकार के पूर्व एडिशनल सॉलिसीटर जनरल प्रयागराज से अशोक मेहता, कनेरी मठ कोल्हापुर से पूज्य स्वामी सिद्धेश्वर जी महाराज, दिल्ली पुलिस के पूर्व विशेष आयुक्त दीपक मिश्रा, मध्यप्रदेश के महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव जबलपुर तथा दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन सहित अन्य उपस्थित रहे.

वीरेंद्र सिंह रामदर्शन ने कहा कि स्वावलंबी गांवों द्वारा ही समरस भारत का विकास संभव है तथा इसी उद्देश्य को लेकर दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा ग्राम स्वावलंबन की अवधारणा के तहत समाज शिल्पी दंपत्ति प्रकल्प की शुरुआत की. जिसके अन्तर्गत समाज शिल्पी दंपत्ति गांव में रहकर ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान हेतु कार्य करते हैं, साथ ही गांव विवाद मुक्त रहे इसका भी प्रयास समाज शिल्पी दंपतियों द्वारा किया जाता है. जिस प्रकार गौशाला गौ सेवा हेतु, केवीके कृषि प्रबंधन हेतु, आरोग्यधाम स्वास्थ्य हेतु संचालित है, उसी प्रकार समाज शिल्पी दंपत्ति गांवों को स्वावलंबी बनाने व विवाद मुक्त ग्राम की दिशा में प्रयासरत है.

एनजीटी के चेयरमैन-न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने नानाजी के विवाद मुक्त गांव कांसेप्ट के बारे में कहा कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब कहा करते थे कि हमें नानाजी देशमुख के विवाद मुक्त गांवों के कांसेप्ट को प्रयास में लाना चाहिए. विवाद का मुख्य कारण है – पेंडिंग कोर्ट केसेस. आज भी कोर्ट में 10 से 20 साल पुराने केसेस पेंडिंग हैं तथा केस पेंडिंग होने के कारण लोग विवादित व अवैध तरीके अपनाने लगते हैं. उन्होंने इसके लिए मौजूदा न्याय व्यवस्था को मॉडिफाई करने की बात भी कही. नानाजी का गांवों को विवाद मुक्त बनाने का सफल प्रयास रहा, क्योंकि नानाजी का ऐसा व्यक्तित्व था कि दोनों पक्ष उनकी बात मानते थे तथा जो नानाजी कहते वह लोग अमल करते थे. जिस कारण विवाद की स्थिति पैदा होने से पहले ही आपसी सुलह से निपटारा करा दिया जाता रहा.

दिल्ली पुलिस के पूर्व विशेष आयुक्त दीपक मिश्रा ने कहा कि विकास के साथ विकारों का निर्माण भी होता है. इसीलिए हमें विकास में ध्यान देना चाहिए, विकारों पर ध्यान नहीं देना चाहिए. क्योंकि विकार से विवाद उत्पन्न होते हैं. लोगों की मानसिकता में परिवर्तन आना चाहिए. हमें एक ऐसा आदमी चाहिए, जो दोनों पक्षों की सुने ताकि विवाद की स्थिति उत्पन्न ही न हो.

भारत सरकार के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अशोक मेहता ने कहा कि शंका व भेद तो हमेशा से ही समाज का एक अंग रहा है. परंतु याद रहे कि इस दौरान संवाद का क्रम न टूटे. हमें संवाद को स्थापित करना चाहिए, विवाद को नहीं. क्योंकि अगर विवाद को दूर नहीं किया जाए तो क्रोध व विरोध बढ़ता है. अपने साथ-साथ दूसरों के हित की चिंता करना भी हमारा ही दायित्व होना चाहिए. जब हम अपने साथ दूसरे के हित का भी ध्यान रखेंगे तो विवाद की स्थिति पैदा ही नहीं होगी. समाज का दायित्व है कि संवाद से समाधान लाएं. समाधान नहीं लाएंगे तो विवाद बढ़ेगा, इसके लिए संवाद महत्वपूर्ण है.

कनेरी मठ के पूज्य स्वामी सिद्धेश्वर जी ने कहा कि विवाद मुक्त गांव के साथ-साथ हमें व्यसन मुक्त गांव, प्रदूषण मुक्त गांव, निर्मल गांव की भी परिकल्पना करनी चाहिए. अगर गांव विवाद मुक्त होंगे तो गांव अधिक खुशहाल हरे-भरे व समृद्ध होंगे.

दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की संकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए ही राष्ट्रऋषि नानाजी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की व उनके सपने को साकार करने में प्रयासरत रहें. विवाद मुक्त ग्राम की दिशा में कई गांवों में आशातीत सफलता भी देखने को मिली. कई गांवों में गांव के ही प्रमुख लोगों और समाज शिल्पी दंपत्ति के माध्यम से दीनदयाल शोध संस्थान ने गांव की समस्या को गांव में ही निपटाने के प्रयास किए हैं, स्थानीय स्तर पर ही समस्या का निराकरण हुआ है.

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