कर्णावती, गुजरात।
दीव, अपनी सम्पूर्ण विद्युत आवश्यकताएं केवल सौर ऊर्जा से पूरी करने वाला भारत का पहला जिला बन गया है। 11.88 मेगावाट की क्षमता के साथ यह मील का पत्थर देश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करता है। दीव की उपलब्धि केवल तकनीकी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अरब सागर के किनारे स्थित दीव रणनीतिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है – यह समुद्री सीमा की निगरानी, व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा और तटीय रक्षा के लिहाज़ से प्रमुख स्थान पर स्थित है।
दीव का ऊर्जा आत्मनिर्भर बनना आपातकालीन स्थितियों में निर्बाध सुरक्षा संचालन की गारंटी देता है। यह मॉडल सीमावर्ती क्षेत्रों में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
जिले ने कुल 11.88 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल की है, जिससे दिन के समय की सारी बिजली जरूरतें पूरी हो रही हैं। दीव जिला दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश का एक जिला है। गुजरात के काठियावाड़ तट के निकट स्थित है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने दीव की सराहना करते हुए नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने का एक राष्ट्रीय आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि दीव में दिन में पूरी बिजली सौर ऊर्जा से पूरी की जाती है, जो इसे एक प्रेरणास्रोत बनाता है।
प्रल्हाद जोशी ने बृहस्पतिवार को दीव का दौरा किया और वहां सौर ऊर्जा की प्रगति का जायजा लिया। उन्होंने पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना के क्रियान्वयन की भी समीक्षा की। इसके अलावा, केंद्र शासित प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक में सौर ऊर्जा उत्पादन, वर्तमान आपूर्ति ढांचे तथा भविष्य के विस्तार की संभावनाओं पर चर्चा की।
दीव में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में पिछले एक दशक में किए गए पूंजी निवेश की भरपाई अब तक सौर ऊर्जा की आपूर्ति और बिक्री के माध्यम से हो चुकी है। उन्होंने इस उपलब्धि को दीव की दूरदर्शिता और ऊर्जा नीति की सफलता करार दिया।
स्थानीय प्रशासन से आह्वान किया कि वे पीएम-सूर्य घर योजना को और अधिक तेजी और प्रभावशीलता से लागू करें, ताकि अधिक से अधिक लोग नवीकरणीय ऊर्जा से लाभान्वित हो सकें और दीव की तरह अन्य जिलों को भी प्रेरणा मिल सके।