समालखा, हरियाणा (21 सितम्बर, 2024).
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने समालखा (हरियाणा) में आयोजित वनवासी कल्याण आश्रम कार्यकर्ता सम्मेलन समवेत 2024 के दौरान जनजाति समाज की पारंपरिक पूजा पद्धतियों का अवलोकन किया. सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान 80 जनजातियों के रीति-रिवाज, पूजा पद्धतियों का निदर्शन किया गया था.
इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हमारा यह जनजातीय समाज है, उसमें बहुत सारी विविधताएं है. सबके खान – पान, रीति रिवाज, पूजा वगैरह का दर्शन करने से हमको स्मरण होता है कि हम भारत के लोग अपनी सारी विविधताओं को साथ लेकर, सब की विविधताओं का स्वीकार करते हुए, मिल जुलकर चलेंगे, क्योंकि विविधता हमको सबके मूल एकता की ओर ले जाती है.
उन्होंने कहा कि पर्यावरण, निसर्ग के प्रति, प्रकृति के प्रति मित्र भाव, प्रेम भाव, भूमि के प्रति अत्यंत भक्ति, प्रत्येक कण में पवित्रता और चैतन्य देखना, इसीलिए तो इतने सारे पूजा के प्रकार होते हैं. यह सारा हमारे यहां सदियों से चलता आ रहा है, और इन सब विविध रास्तों का मूल कहां है, तो बिल्कुल आदिकाल से यह जो चलता आया है, उसमें है. वेदों में भी हम देखते हैं कि नदियों की, पहाड़ों की, वायु की, अग्नि की स्तुति करने वाली ऋचाएं हैं. यह सब अपने आसपास की जो प्रकृति है, उसमें भी वही चैतन्य है, वही पवित्रता है. उस भाव का प्राचीन काल से अब तक चलता आया हुआ आविष्कार आपको यहां देखने को मिलेगा. उससे अपने आज के कर्तव्य का भी भान होगा और अपना जो प्राचीन मूल है, उसकी तरफ भी हमारी दृष्टि जाएगी. और इसलिए इसका अवलोकन कीजिए और इसका संदेश हृदयंगम कीजिए.