नई दिल्ली. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय परिसर दीपावली उत्सव (22 अक्तूबर, 2024) के लिए सजाया गया था. कार्यक्रम राष्ट्रीय कला मंच और छात्र संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था. ‘ज्योतिर्मय 2024’ नाम से रंगोली की सुंदर सजावट और दीपों की रोशनी में कार्यक्रम करने की योजना थी. लेकिन कार्यक्रम के बीच अचानक माहौल बदल गया, जब कुछ मुस्लिम छात्रों ने दीपावली उत्सव का विरोध करना शुरू कर दिया. विरोध के दौरान ‘नारा-ए-तकबीर’ और ‘फिलिस्तीन जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए.
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विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने दीपावली उत्सव का विरोध करते हुए फिलिस्तीन के समर्थन में नारेबाजी की. नारों ने न केवल आयोजकों, बल्कि उपस्थित अन्य लोगों को भी आश्चर्यचकित कर दिया. कुछ ही समय में देखते ही देखते मजहबी उन्मादियों ने उत्सव को तहस-नहस कर दिया, जिसके बाद विश्वविद्यालय परिसर में तनाव पैदा हो गया.
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घटना के बाद उन्मादियों के एक समूहों ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में तनावपूर्ण माहौल का दावा करते हुए पोस्ट्स कर घटना के लिए हिन्दू छात्रों को ही जिम्मेदार बताया और आरोप लगाया कि “कार्यक्रम के दौरान हिन्दू छात्रों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए, जिससे विवाद बढ़ गया”.
यह पहली बार नहीं है, जब जामिया मिलिया इस्लामिया में हिन्दू त्योहार का विरोध हुआ है. मार्च 2023 में भी छात्रों ने होली उत्सव के दौरान विरोध प्रदर्शन किया था. उस समय ‘रंगोत्सव’ नाम से किए आयोजन का उद्देश्य होली मनाना था, लेकिन तब भी मुस्लिम छात्रों ने इसे इस्लाम के खिलाफ बताते हुए विरोध किया था.
यह भी उल्लेखनीय है कि जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा पहले भी फिलिस्तीन के समर्थन में नारेबाजी और प्रदर्शनों की खबरें आती रही हैं. अक्तूबर 2023 में, एक छात्र समूह ने ‘हमास’ का समर्थन करने वाले बिल्ले पहने थे, जिसे कई देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है. इसी समय, फिलिस्तीन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस पर भी रैली निकाली गई थी, जिसमें #FreePalestine और #DownWithIsrael जैसे हैशटैग का भी इस्तेमाल हुआ था.
हिन्दू त्योहारों के विरोध की प्रवृत्ति
तेजी से फैलती हिन्दू त्योहारों के विरोध की यह प्रवृत्ति लगातार खतरनाक होती जा रही है. और हिन्दू त्योहारों का विरोध और त्योहारों के दौरान हमले बढ़ते जा रहे हैं. राम नवमी, हनुमान जयंती और सरस्वती पूजा, गणेश विसर्जन, दुर्गा पूजा जैसे धार्मिक आयोजनों पर भी विरोध देखा गया है. इन विरोध प्रदर्शनों में पत्थरबाजी, आगजनी और हिंसा की घटनाएं भी शामिल हैं. यह प्रवृत्ति अब शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों में भी पैर पसार रही है.