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केवल सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर नहीं, समाज के प्रेरक बनें – हेमंत मुक्तिबोध

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भोपाल। सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत मुक्तिबोध ने कहा कि हमें समाज को केवल प्रभावित नहीं, बल्कि प्रेरित करना है। यह तभी संभव है, जब हम ऐसे कंटेंट का निर्माण करें जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कारण बने। आज के समय में सूचना और संवाद के लिए सोशल मीडिया महत्वपूर्ण साधन है, लेकिन इस साधन का उपयोग करते समय हमें ज्ञान और सूचना के साथ विवेक का उपयोग करना चाहिए। आज के समय में सोशल मीडिया छवि निर्माण और विध्वंस में महत्वपूर्ण साधन है।

हेमंत मुक्तिबोध विश्व संवाद केंद्र मध्यप्रदेश की ओर से आयोजित सोशल इन्फ्लुएंसर्स मीट में संबोधित कर रही थी। एक दिवसीय आयोजन में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो, प्रसिद्ध आरजे रौनक, फ़िल्म निर्माता प्रवीण चतुर्वेदी ने भी अपने विचार साझा किए। सभी ने एकमत से कहा कि हमें सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाना चाहिए।

कार्यक्रम में रेडियो आरजे रौनक, प्रियंक कानूनगो, प्रवीण चतुर्वेदी और नुपूर जे शर्मा ने सोशल मीडिया के बदलते परिवेश और बदलती भूमिका पर चर्चा करते हुए अपने अनुभव साझा किए। पैनल ने कंटेट क्रिएटर्स को बताया कि यदि हम किसी कंटेट का क्रिएशन करते हैं और उस पर रीच न आए तो हताश और निराश न हों, बल्कि तथ्यात्मक कंटेट का निर्माण करते रहें।

ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राच्यम के संस्थापक और एआई विशेषज्ञ प्रवीण चतुर्वेदी ने प्रतिभागियों को कंटेंट क्रिएशन में एआई तकनीक का उपयोग करने के गुर सिखाए। एक समय पर कंटेट के माध्यम से ही समाज में हिन्दू विरोधी नैरेटिव गढ़ने के सफल प्रयास किए, अब स्थितियां बदल रही हैं। अब हिन्दू संस्कृति के दृष्टिकोण से भी कंटेंट बन रहा है।

चर्चित रेडियो जॉकी रौनक ने कहा कि आज के समय इन्फ्लुएंसर्स अपने कंटेट को वायरल करने के लिए रियलिटी से काफी दूर चले जाते हैं। जिसके कारण कई बार ऐसा होता है कि हम कंटेट क्रिएशन करते–करते अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों से भी दूर होने लगते हैं। इससे बचने के लिए उन्होंने DHYAN का फॉर्मूला दिया, जिसका अर्थ है – धर्म हित, योग, अनुसरण और न्याय बताया। उन्होंने कि हम सोशल मीडिया कंटेंट का निर्माण करते हुए इन पांचों चीजों कों ध्यान में रखेंगे तो जरुर सफल होंगे।

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी ने प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि आज के समय में भी यदि कोई पत्रकारिता करते–करते सनातन की बात करता है तो उसे पत्रकारों का एक तबका हीन भावना से देखता है। लेकिन मेरा ये मानना है कि सनातन का कार्य करने वाले व्यक्ति को आज के समय के सोशल मीडिया ट्रोलर्स एक बार तो ट्रोल कर सकते हैं, बार–बार नहीं। यही सोचकर मैं हर बार अपनी पत्रकारिता में सनातन की बात करता हूं। मुझे गर्व है कि पत्रकारिता के साथ सनातन का कार्य भी करता हूं।

समापन सत्र में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने कहा कि सोशल मीडिया के इस युग में सत्य कुछ भी नहीं। तर्कपूर्ण तथ्य ही सत्य माना जाएगा। हम सभी जिस भी तरीके के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम करते हैं, वहां हमें यह देखना है कि हम जिस विषय में बात कर रहे हैं, वह बात तार्किक और तथ्यात्मक रूप से कितनी सही है। समय के साथ संवाद करने के साधनों में और लोगों को जागृत करने के संसाधनों में भी बदलाव आया है। इसमें सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका है। हमारी जिम्मेदारी ये भी है कि हम सूचना के साथ भारत के लोगों के अंदर भारतीयता का भाव जागृत करें।

कार्यक्रम में मध्यभारत प्रांत के 350 से अधिक चयनित सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स शामिल हुए, जिन्हें सोशल मीडिया का उपयोग तथ्यों और तकनीक के माध्यम से करने की जानकारी वक्ताओं ने दी।

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