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राम नाम के हीरे मोती – विक्षिप्तता में भी श्रीराम को न भूलूं, प्रभु ऐसी कृपा बनाए रखना

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विक्षिप्तता में भी श्रीराम को न भूलूं, प्रभु ऐसी कृपा बनाए रखना

चित्तौड़..

अमर सिंह जी, मानसिक रूप से कुछ बीमार हैं. छोटे-मोटे आयोजन और सत्संग आदि में जाकर अपना पेट भरते हैं. बड़ाखेड़ा के चौराहे पर उन्होंने अपना ठिकाना बना रखा है.. सत्संग में मिलने वाली भेंट को इकट्ठा कर रखा था, जब प्रभु श्रीराम के धाम के लिए निधि

समर्पण की बात पता चली तो स्थानीय टोली को बुलाकर प्रभु श्रीराम के चरणों में ₹500 अर्पित किए…

राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊं गली गली ।

ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥

पहले श्रीराम मंदिर फिर यात्रा

झोटवाड़ा, जयपुर. 21 साउथ कॉलोनी में रहने वाले अमन शर्मा श्रीराम मंदिर निर्माण निधि समर्पण का संकलन करने वाली टोली की प्रतीक्षा कर रहे थे. प्रातः जैसे ही उनकी दृष्टि रामसेवकों पर पड़ी, उन्होंने आवाज़ लगा अपने घर बुलाया.

कार्यकर्ताओं को बैठाकर निधि समर्पण के रूप में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के नाम 27000 रु का चेक प्रदान किया. साथ ही 18000 रु की नकद राशि भी कार्यकर्ताओं की ओर बढ़ा दी. कार्यकर्ताओं ने आश्चर्य से कहा – आपने चेक दिया तो है.

तो उन्होंने कहा कि चेक तो अभियान की जानकारी मिलते ही भर कर रखा था. पर, यह 18000 रु वैष्णो देवी की यात्रा के लिए वर्ष भर थोड़ा-थोड़ा कर जोड़े थे. अब श्रीराम मंदिर निर्माण का सुअवसर आया है तो यह भी इसमें लगने दीजिये, यात्रा बाद में कर लूंगा.

बलिदानी कारसेवक के परिवार का समर्पण

श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के तहत वर्ष 1990 की कारसेवा में मथानिया के रामभक्त सेठाराम जी ने सर्वस्व बलिदान कर दिया था.

बलिदानी रामभक्त सेठाराम जी की माता सायर देवी जी ने 51000 रुपये श्रीराम मन्दिर के लिए समर्पित करते हुए कहा कि राम जी के लिए तो बेटे ने सर्वस्व बलिदान कर दिया, ये राशि तो कुछ भी नहीं. उन्होंने निधि समर्पण अभियान में लगे कार्यकर्ताओं को घर बुलाकर चेक सौंपा.

 

रामकाज में अधिक देना है

हरनाथपुरा, जयपुर. #श्रीराम_जन्मभूमि_निधि_समर्पण_अभियान की टोली गाडिया लोहार परिवारों के बीच पहुंची तो समर्पण का उत्साह एवं आनन्द अद्भुत था…..

एक परिवार में परिवारजनों ने निधि समर्पण करते हुए कहा – अभी इतना ही, पर मुझे अधिक देना है.

कार्यकर्ताओं ने कहा – इतना ही पर्याप्त है.

तो वह परिवारजन जोर देकर कहने लगे – यह तो रखें. हमारे राम का मंदिर बन रहा है, मैं अधिक दूँगा,

शाम तक व्यवस्था कर आपके पास और अधिक निधि समर्पण करने आऊँगा.

 

 

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