करंट टॉपिक्स

देसी गाय के गोबर का प्रयोग कर लाखों की कमाई कर रहे रोहतक के डॉ. शिव दर्शन

Spread the love

गोबर से वैदिक प्लास्टर, प्राकृतिक रंग व ईंट करते हैं तैयार

रोहतक (विसंकें). देसी गाय गुणों की खान है. दूध के अलावा गाय का गोबर व मूत्र भी बेहद कीमती है. गाय के गोबर का सही प्रयोग कर गोबर से भी हर माह लाखों रुपये की कमाई की जा सकती है. हमारे पास गाय के गोबर के सही प्रयोग की थोड़ी सी जानकारी है तो हमारे लिए गाय का गोबर मल्टीपर्पज़ साबित हो सकता है. हरियाणा प्रदेश के रोहतक शहर की भरत कॉलोनी निवासी डॉ. शिव दर्शन मलिक ने देसी गाय के गोबर से वैदिक प्लास्टर, ईंट व घरों के लिए प्राकृतिक रंग तैयार करने का एक नया फॉर्मूला तैयार कर गाय के गोबर को ओर भी कीमती बना दिया है. देसी गाय के गोबर से तैयार होने वाला यह प्लास्टर उष्मारोधी और मौसम के अनुकूल है. इसके चलते वैदिक प्लास्टर की भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देश में भी मांग है. डॉ. शिव दर्शन का कहना है कि वैदिक प्लास्टर की नेपाल में प्रति माह 400 टन तक की मांग है.

मदीना गांव निवासी डॉ. शिव दर्शन ने 1995 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से केमिस्ट्री में पीएचडी की थी. पीएचडी करने के बाद उन्होंने एक इंजीनियर कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी की लेकिन बाद में डॉ. शिव दर्शन ने यह नौकरी छोड़ दी और वह एक बैटरी के लिए शीशे तैयार करने वाली कंपनी में काम करने लगे. सेहत खराब रहने के कारण उन्होंने यह नौकरी भी छोड़ दी.

वैदिक प्लास्टर तैयार करने की घटना के बारे में उन्होंने बताया कि गांव में उनका कच्चा घर था. मां वेद कौर को बचपन में पीली मिट्टी और गोबर से लिपाई करते हुए देखा था. बाद में रोहतक स्थित भरत कालोनी में रहने लगे. साल 2000 में गर्मियों के दौरान बिजली के कट अधिक लगे तो वह छत के ऊपर चले गए, जबकि पत्नी और बच्चे गर्मी से बेहाल हो गए. तब मुझे गांव वाले दिन याद आए और मां के हाथों वाली लिपाई याद आई. जब मां लिपाई करती थी तो उसमें एक दिक्कत यह होती थी कि लिपाई के बाद दरारें आ जाती थी. इसलिए मैंने यही सोचा कि कोई ऐसा प्लास्टर होना चाहिए कि इसमें दरारे न आएं. फिर तमाम तरीके खोजते रहे.

अमेरिका में मिला वैदिक प्लास्टर तैयार करने का आइडिया

डॉ. शिव साल 2019 में हरियाणा कृषि रतन से सम्मानित हो चुके हैं. इन्होंने इंग्लैंड, ईरान, रूस, अमेरिका, नीदरलैंड के अत्याधुनिक घरों को देखा है. नए घर ईंधन की भट्ठी की तरह गर्मियों में तपते हैं. अमेरिका में एक बार मैंने भांग के पेड़ में चूने के टुकड़े मिश्रित हैप्पक्रीट विधि से घर तैयार होते हुए देखे. तब आइडिया मिला कि मैं भी वैदिक प्लास्टर तैयार कर सकता हूं. रोहतक शहर के शीला बाईपास चौक के निकट खुद का वैदिक प्लास्टर, प्राकृतिक रंगों वाला कार्यालय तैयार किया.

वैदिक प्लास्टर तैयार करने का तरीका

वैदिक प्लास्टर तैयार करने के लिए 10 फीसद गोबर, 70 फीसद जिप्सम, 15 फीसद रेतीली मिट्टी होनी चाहिए. वहीं, पांच फीसद ग्वार का गम व नींबू के रस के पाउडर का उपयोग करते हैं. ग्वार के गम से प्लास्टर में चिकनाई आती है. प्लास्टर में 30 रुपये प्रति वर्ग फीट तक का खर्चा आता है. इसकी खासियत यह है कि पानी डालने पर खुश्बू आती है. मजदूर का खर्चा कम होता है. हानिकारक धुएं को सोखने की क्षमता भी है. नुणी व सीलन नहीं होती. वायु प्रदूषण को सोखने में भी सक्षम है.

प्राकृतिक रंगों व ईंटों को भी किया तैयार

जयपुर के रहने वाले डॉ. मनोज दूत के साथ डॉ. शिव ने घरों में उपयोग होने वाले प्राकृतिक रंगों को तैयार किया है. इसमें चूना, रंगीन मिट्टियां और ग्वार का गम मिलाते हैं. बाजार में मिलने वाले कलर से करीब 20 फीसद कम रकम खर्च होती है. वहीं, अंबाला की रहने वाली वाणी गोयल के साथ देसी गाय के गोबर से ईंट बनाना शुरू किया है. यह आग से जलती नहीं और पानी में गलेंगी नहीं. वजन भी महज एक से सवा किग्रा तक होता है. खर्चा भी महज चार रुपये प्रति ईंट आ रहा है.
डॉ. शिव के पास फिलहाल तीन गाय और बैल हैं. इन्हीं से प्राप्त गोबर से रिसर्च करते हैं. जबकि प्लास्टर व ईंटों को तैयार करने के लिए बीकानेर में प्लांट लगाया है. साल 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति भवन बुलाया था. साल 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ने हरियाणा कृषि रतन से सम्मानित किया था. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी डॉ. शिव की खोज से प्रभावित हैं. इनकी खूबियों को जानने के लिए वैदिक प्लास्टर से तैयार आफिस को देखने के लिए 2019 में आए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *