जनजाति बहुल डूंगरपुर जिले की आत्मनिर्भर महिलाएं, जो कभी चूल्हे-चौके और खेतों में व्यस्त रहती थीं. लेकिन आज ये महिलाएं इंजीनियर बन गई हैं और सोलर एनर्जी जैसे तकनीकी उद्योग को संभालते हुए सफल महिला उद्यमी के रूप में कार्य कर रही हैं.
महिलाएं अपने हाथों से सोलर लैंप, एलईडी बल्ब जैसे बिजली उपकरण बना रही हैं, जिसकी मांग डूंगरपुर के साथ ही राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में हैं. इतना ही नहीं, दुर्गा सोलर एनर्जी में सीईओ से लेकर कर्मचारी तक सभी महिलाएं ही हैं. यह महिलाओं के स्वावलंबन व सशक्तिकरण का सन्देश दे रहा है.
वर्ष 2016 में जिला प्रशासन, राजस्थान आजीविका मिशन के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूह को जोड़ते हुए मुंबई आईआईटी के इंजीनियरों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. डूंगरपुर जिले में महिलाओं को रोजगार से जोड़ते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत की गई.
इसके बाद यहां सोलर लैंप बनाने का काम शुरू हुआ. आज महिलाएं इंजीनियर की तरह काम कर रही है. इस प्रोजेक्ट में सभी महिलाएं होने के कारण इसका नामकरण भी “दुर्गा” सोलर एनर्जी रखा गया. महिलाएं अब चूल्हा- चौका व घरेलू काम करने के साथ ही सोलर पैनल, सोलर लैंप, एलईडी बल्ब, हैलोजन लाइट, सोलर चार्जिंग लाइट बनाने का कार्य कर रही हैं. यह देश की पहली कंपनी है, जिसमें सीईओ से लेकर काम करने वाली कर्मचारी सभी महिलाएं ही हैं, जिनके हाथों में प्रोडक्शन से लेकर मैनेजमेंट के कार्य को बखूबी अंजाम दे रही हैं.
55 महिलाएं कर रही हैं काम
कंपनी में 55 महिलाएं काम कर रही हैं. महिलाओं ने बताया कि वे पहले घर में खाना बनाना, झाड़ू-पोछे का काम करती थीं. इसके बाद मनरेगा में मजदूरी के लिए भी जाती थी, लेकिन कंपनी में आने के बाद उन्हें सोलर पैनल, सोलर लैंप, एलइडी बल्ब व अन्य उपकरण बनाने का प्रशिक्षण मिला, जिसके बाद वे अपने घर का कामकाज निपटा कर यहां आती हैं. वे हर महीने 10 से ₹15 हजार तक कमा लेती हैं. इससे उनके घर में आर्थिक मदद मिल जाती है. उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं और कुछ बचत भी होती है.
पीएम भी कर चुके हैं सम्मानित
डूंगरपुर रिन्युएबल एनर्जी टेक्नोलोजिज प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी की स्थापना होने से डूंगरपुर जिले में सोलर एनर्जी को तो बढ़ावा मिला है, वहीं, आजीविका अर्जन के साथ अंचल में शैक्षिक विकास व महिला सशक्तिकरण की गतिविधियों के लिए डूंगरपुर नाम कमा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अप्रैल 2017 में तत्कालीन कलेक्टर को सम्मानित कर चुके हैं.
बहरहाल, जनजातीय महिलाओं को इंजीनियर बनाने और अपनी कंपनी स्थापित कर सोलर लैंप जैसे तकनीकी उपक्रम से जुड़ने का कार्य वास्तव में अनूठा है. इससे महिलाएं स्वावलंबी और सशक्त हो रही हैं, तो सोलर एनर्जी की जीवन में उपयोगिता भी साबित हो रही है.