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पर्यावरण संरक्षण – प्लास्टिक-डिस्पोज़ेबल थाली गिलास के उपयोग को कम करने के लिए बनाया बर्तन बैंक

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भोपाल (विसंकें). छोट-छोटे प्रयास मिलकर बड़ा परिवर्तन लाते हैं. इसी कड़ी में भोपाल की महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से छोटा ही सही पर महत्वपूर्ण प्रयास किया है. पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक व डिस्पोज़ेबल थाली-गिलास के उपयोग को कम करने के उद्देश्य से प्रयास प्रारंभ किया है.

भोपाल के शक्ति नगर निवासी महिलाओं इला मिड्ढा, श्वेता शर्मा, स्मिता पटेल और डॉ. मधुलिका दीक्षित ने मिलकर बर्तन बैंक बनाया है. बर्तन बैंक से धार्मिक, सामाजिक और पारिवारिक आयोजनों के लिए बर्तन नि:शुल्क उपलब्ध करवाए जाते हैं. बर्तन बैंक में पांच सौ थालियां, गिलास एवं चम्मच हैं, जिसका पूरा हिसाब-किताब रजिस्टर में मेंटेन किया जाता है.

महिलाओं की दोस्ती लगभग 21 साल पुरानी है. सबसे पहले उन्होंने बाजार से पन्नी (प्लास्टिक) में सामान लेना बंद किया. अपने साथ घर से ही बैग लेकर जाती थीं. जानवर पन्नियां खाने की वजह से मर जाते हैं. इसलिए उन्होंने बर्तन बैंक शुरू किया.

उन्होंने बताया कि हम जब भी किसी कार्यक्रम में जाते थे तो वहां डिस्पोजल थालियों में खाना सर्व किया जाता था. तब हमें महसूस हुआ कि इससे हमारे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. साथ ही जानवरों को भी नुकसान हो रहा है, क्योंकि जानवर इन्हीं डिस्पोज़ेबल थालियों को खा जाते हैं.

इतना प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा हो रहा है जो आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत हानिकारक है. इस बात को ध्यान में रखते हुए आपस में पैसे एकत्र कर बर्तन बैंक की शुरुआत की.

उनके कार्य में मीना दीक्षित और हरिप्रिया पंत ने भी सहयोग किया. विशेष बात यह है कि बर्तन बैंक में प्लास्टिक का कोई भी सामान उपयोग नहीं किया जाता, नके इस काम में अशोक पटेल, रमनदीप अहलूवालिया, कल्पना सिंह और योगेश गुड्डू सक्सेना का सहयोग रहा है.

इला मिड्ढा, श्वेता शर्मा, डॉ. मधुलिका दीक्षित और स्मिता पटेल ने बताया कि बर्तन बैंक खुलने के बाद से डिस्पोजल, थर्माकोल की प्लेट और प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग काफी कम हुआ है. अपने घर से ही बर्तन बैंक संचालित कर रही हैं.

कोरोना वायरस के चलते सुरक्षा व सावधानियों का पूरा ख्याल रखा जाता है. बर्तन देने से पहले वे सामने वालों को इतना जरूर कहते हैं कि बर्तन अच्छी तरह साफ करके वापिस करें, ताकि किसी को परेशानी न हो.

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