इंदौर. लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रि-शताब्दी समारोह का भव्य शुभारंभ 31 मई, 2024 शुक्रवार को सायं इंदौर में हुआ. भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानंद जी तीर्थ, श्री श्री १००८ महामंडलेश्वर किरणदास बापू जी महाराज तथा श्री श्री १००८ महामंडलेश्वर कृष्णवदन जी महाराज के पावन सान्निध्य में यह आयोजन सम्पन्न हुआ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी, राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांता अक्का जी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जी, राज्यसभा सांसद पद्म विभूषण सोनल मानसिंह जी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पद्मभूषण सुमित्रा महाजन जी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित समारोह समिति के सदस्य उपस्थित रहे.
शुभारंभ कार्यक्रम की मुख्य वक्ता पद्मश्री निवेदिता जी भिड़े (विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी) ने कहा कि अपना जीवन सिर्फ सफल ही नहीं, सार्थक भी होना चाहिए. लोकमाता का जीवन वास्तव में सार्थकता से परिपूर्ण था. मेरे प्रत्येक राजकीय कृत्य का उत्तर मुझे परमात्मा को देना है. अपनी कृति व कर्म की जिम्मेवारी मेरी स्वयं की है. इन कार्यों को करने के लिए ईश्वर ने मेरा चयन किया, अतः मैं अपने प्रत्येक कार्य को श्रेष्ठता के साथ करूंगी. अपने जीवन के विविध दायित्वों को निभाते हुए ही उनका जीवन विकसित हुआ. वे इस प्रकार न्याय व निर्णय करती थीं कि दोनों ही पक्ष उससे सहमत हो जाते थे.
कार्यक्रम में इंदौर के ख्यातनाम कलाकार पं. गौतम काले एवं उनके सहयोगियों द्वारा देवी अहिल्याबाई के जीवन पर केंद्रित संगीतमय भावपूर्ण प्रस्तुति हुई. मुख्य कार्यक्रम का आरंभ माँ अहिल्याबाई के समक्ष पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलन से हुआ. आशीर्वचन में श्री श्री १००८ महामंडलेश्वर कृष्णवदन जी महाराज ने कहा कि हमारे भारतवर्ष में हर घर में अहिल्याबाई जैसी बेटी जन्म ले व राष्ट्र की उन्नति का कारक बने. भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानंद जी तीर्थ ने कहा कि देश की व्यवस्था बिना धर्म के चल नहीं पाई है, देवी अहिल्याबाई ने ऐसे ही धर्मनिष्ठ होकर अनुकरणीय राजकाज का संचालन किया.
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत तथा पूजनीय अम्मा माता अमृतानंदमयी जी के संदेश का वाचन हुआ. शुभकामना संदेश में पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने कहा कि मुझे इस समिति से जुड़ने का जब सौभाग्य मिला, तो मुझे लगा जैसे कि मुझे अहिल्या-रत्न मिल गया हो. पद्मभूषण सुमित्राताई महाजन ने कहा कि हम इन्दौरवासी तो देवी अहिल्याबाई के जीवन को हर अवसर पर याद करते ही हैं, अब पूरा भारत जानेगा अहिल्या माता की पुण्याई को.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा – आज लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी का शुभारंभ हो रहा है, मेरा संकल्प है कि इसका भव्य समापन अवश्य होगा. प्रदेश सरकार इसके लिए पूरा सहयोग करेगी. इंदौर के 10 हजार से अधिक समाज जाति प्रमुख, कार्यकर्ता, प्रबुद्धजन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए.
कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. चन्द्रकला पाडिया ने रखी. इस अवसर पर चिन्मयी मुले की पुस्तक “लोकमाता अहिल्याबाई होलकर – द क्वीन ऑफ़ इंडोमिटेबल स्पीरिट” का विमोचन किया गया.
आयोजन समिति की सचिव माला ठाकुर ने बताया समिति द्वारा वर्ष भर में अनेक कार्यशालाएँ, सेमिनार तथा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में लोकमाता के साहित्य का प्रकाशन किया जाएगा. उनके व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व के साथ तीर्थ स्थलों के चित्रों सहित एक कॉफ़ी टेबल बुक का भी प्रकाशन होगा. ललितकलाओं जैसे संगीत, नाटक, चित्रकला आदि के माध्यम से देवी अहिल्याबाई के जीवन को जन जन तक पहुंचाया जाएगा.