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प्रयागराज। महाकुम्भ क्षेत्र में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल देखने को मिल रही है। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि की ओर से मेला क्षेत्र में संचालित सभी भंडारों में थाली और झोला वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित की, जिससे श्रद्धालुओं को प्लास्टिक की थालियों और पॉलिथीन का उपयोग करने की आवश्यकता न पड़े।
महाकुम्भ में लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन भोजन प्रसाद ग्रहण करते हैं। पहले लोग प्लास्टिक की थालियों और कटोरियों का उपयोग करते थे, जिससे मेला क्षेत्र में भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा इकट्ठा हो जाता था। इसे ध्यान में रखते हुए थाली और झोला वितरण का कार्य प्रारंभ किया। जैसे ही यह अभियान शुरू हुआ, श्रद्धालुओं ने इसका स्वागत किया, और देखते ही देखते प्लास्टिक के प्रयोग में गिरावट आई है।
भंडारों में भोजन करने आने वाले श्रद्धालुओं को स्टील की थालियां दीं, जिन्हें भोजन के बाद धोकर पुनः उपयोग में लाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, श्रद्धालुओं को कपड़े के झोले भी उपलब्ध कराए गए ताकि वे प्रसाद एवं अन्य सामग्री पॉलिथीन के बजाय पर्यावरण-स्नेही थैलों में रख सकें।
पहल का सीधा असर कुम्भ मेला क्षेत्र की स्वच्छता पर पड़ा है। जहां पहले जगह-जगह प्लास्टिक कचरे के ढेर दिखाई देते थे, वहीं अब मेला क्षेत्र पहले की तुलना में अधिक स्वच्छ और सुव्यवस्थित नजर आ रहा है। मेला प्रशासन ने भी संगठनों के प्रयास की सराहना की।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी
स्वयंसेवकों ने केवल थाली और झोला वितरण ही नहीं किया, बल्कि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक भी किया। वे श्रद्धालुओं को प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में बताते हुए उन्हें वैकल्पिक उपाय अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्वयं भी अभियान से जुड़कर प्लास्टिक के उपयोग को बंद करने की शपथ ले रहे हैं।
इस अभिनव पहल को न केवल श्रद्धालुओं, बल्कि अन्य संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी समर्थन मिला है। कई अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी मुहिम से प्रेरणा लेते हुए प्लास्टिक के स्थान पर पुनः उपयोग योग्य सामग्रियों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।