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सत्य का अन्वेषण भारतीय संस्कृति का मूल चिंतन – किस्मत कुमार

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शिमला (हिमाचल प्रदेश). देवर्षि नारद जयंती के अवसर पर विश्व संवाद केंद्र शिमला में आयोजित कार्यक्रम में किस्मत कुमार ने कहा कि सत्य का अन्वेषण भारत की संस्कृति की विशिष्ट पहचान है. शिमला में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम में जनसंपर्क विभाग से सेवानिवृत निदेशक आरती सूद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं. मुख्य वक्ता हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य किस्मत कुमार रहे, विशिष्ट अतिथि भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में वरिष्ठ अध्येता प्रोफेसर हरीमोहन बुधोलिया रहे.

किस्मत कुमार ने कहा कि आज भी भारतीय मूल चिंतन लाखों साल पुराना है जो सत्य के अन्वेषण पर आधारित है. हम अपने मूल स्वरूप और मूल चिंतन सत्य के अनुसंधान से जुड़े रहें. विश्व के लोगों को धर्म का सही और व्यापक स्वरूप भारत ने ही बताया.. क्योंकि भारत में चरित्र निर्माण में सबसे अधिक भूमिका धर्म की है जो मूल भारतीय तत्व सत्य के अन्वेषण पर आधारित है. जबकि अन्य धर्म केवल सीमित दायरे में इसकी व्याख्या करते हैं. जिस कारण धर्म की अपेक्षा उनको मजहब कहना ही सही है. हमारे भारतीय समाज के आदर्श चरित्रों को खराब करने के योजनापूर्वक प्रयास किए गए. जैसे बुद्धि के देवता को मूर्ख बताने के लिए उनको गोबर गणेश, कृष्ण भगवान के लिए मिट्टी का माधो जैसे मुहावरे गढ़े गए.

उन्होंने बताया कि भारत के सेकुलर शब्द भारत के लिए है ही नहीं. उन्होंने कहा कि आज हम अपने देश की अपेक्षा पश्चिमी देशों को प्राथमिकता देने लगे है. अनुभव साझा करते हुए कहा कि एक परिवार में जाना हुआ, उनके सभी बच्चे अमेरिका में पढ़ते थे. परिवार के सदस्यों ने बड़े ही गर्व के साथ बताया कि हमारे बच्चे भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में पढ़ते हैं. उनके हाव भाव बता रहे थे मानो भारतीय नई पीढ़ी अमेरिका या विदेशी शिक्षा से पढ़कर ही अपने को सार्थक समझती हो. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से हिन्दू त्योहार नहीं आते, फिर भी हम उस सभ्यता का अंधानुकरण कर रहे हैं. किस्मत कुमार ने कहा कि समाज में नारद जी को लेकर जो नकारात्मक विमर्श गढ़ा गया था, उसको दूर करने का काम विश्व संवाद केंद्र ने किया है.

विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर हरीमोहन बुधौलिया ने कहा – नारद की छवि को बिगाड़ा गया है. उनकी छवि को सुधारना पत्रकारों का दायित्व है. पत्रकारों की शक्ति समाज सुधार में अहम है.

आरती सूद ने कहा कि आज वो समय है, जब हम पुराने नकारात्मक विमर्श को लेकर जागरूक हों. उन्होंने नारद जी द्वारा लिखित समाज के लिए कल्याणकारी ग्रंथों का जिक्र किया. जिसमें नारद भक्ति सूत्र, नारद पुराण, नारदीय ज्योतिष आदि ग्रंथ समाज के मार्गदर्शक का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने विश्व संवाद केंद्र के सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में किए कार्य की सराहना की.

प्रांत प्रचार प्रमुख प्रताप ने कहा कि आज आम नागरिकों की सहभागिता हुई है. अब पत्रकारिता कुछ लोगों तक सीमित नहीं रह गई है. इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जय प्रकाश लिखित पुस्तक नारदीय संचार नीति का लोकार्पण किया गया.

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