नई दिल्ली. शिक्षा, महिला, युवा एवं खेल सम्बन्धी संसदीय समिति की बैठक 13 जनवरी को संसद भवन में आयोजित की गयी थी. विनय सहस्त्रबुद्धे की अध्यक्षता में बनी समिति ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की पाठ्यपुस्तकों में विकृतियों, विसंगतियों एवं भारत के इतिहास में देश के महनायकों के योगदान को पाठ्यपुस्तकों से बाहर रखने जैसे गम्भीर विषय पर बैठक आयोजित की थी. बैठक में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास को भी अपना प्रतिवेदन रखने का अवसर दिया गया. न्यास के प्रतिनिधिमंडल में देशरज शर्मा, एड्वर्ड मेंढे सम्मिलित थे.
न्यास के प्रतिनिधिमंडल ने समिति के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया….
♣ पाठ्य-पुस्तकों की विषय-वस्तु और डिजाइन में प्रस्तुत बिन्दुओं में सुधार –
- हमारे राष्ट्रीय नायकों के प्रति गैर-ऐतिहासिक तथ्यों और विकृतियों के संदर्भो को पाठ्यपुस्तकों से हटाने के विषय में —
– न्यास ने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन कर केवल इतिहास नहीं तो राजनीति विज्ञान एवं हिंदी की पाठ्यपुस्तकों में व्याप्त विकृतियों को समिति के समक्ष रखा.
– इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के कुछ प्रमुख उदाहरण – कक्षा-6 की पुस्तक में संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं का परिचय केवल कुछ पंक्तियों में अत्यंत संक्षिप्त दिया गया है.
– कक्षा-6 की ही इतिहास की पुस्तक में अनेक स्थानों पर जातिगत द्वेष उत्पन्न करने का प्रयास किया गया है. उदाहरण के तौर पर पृष्ठ 47-48 के कुछ वाक्य प्रस्तुतीकरण में दिए..
– कक्षा-7 की पुस्तक में विदेशी आक्रांताओं के प्रति सहानुभूति पूर्वक लेखन दिखाई देता है.
– कक्षा-8 की पुस्तक हमारे अतीत भाग-3 में अध्याय ‘जब जनता बगावत करती है 1857 और उसके बाद’ में विद्रोह तथा बगावत के स्थान पर ‘स्वतंत्राता संग्राम’ शब्द का प्रयोग करना ज्यादा उचित होगा.
– कक्षा-8 की ही इसी पुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम की ज्योत जलाने वाले मंगल पांडे की फांसी की दिनांक भी गलत दी गई है.
– कक्षा 12 की पुस्तक भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग-1 में अध्याय ‘बंधुत्व, जाति तथा वर्ग’ में समाज के एक वर्ग के प्रति द्वेष निर्माण करने का प्रयास किया गया है.
– कक्षा-12 की इतिहास की पुस्तक ‘भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग-2’ एवं ‘भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग-3’, में अनेक स्थानों पर विदेशी आक्रांताओं को निर्मल ह्दय वाला सहिष्णु शासक दिखाने का प्रयास किया गया है.
– इसी प्रकार राजनीति विज्ञान की कक्षा-11 की पाठ्यपुस्तक के अध्याय ‘विधायिका’ में एक राजनीतिक दल के प्रति द्वेष तथा दूसरे राजनीतिक दल के लिए स्तुति, पुस्तक निर्माताओं की पक्षपाती सोच को दर्शाता है.
– इसी प्रकार हिंदी की कक्षा-1 से कक्षा-11 की पुस्तकों में अभद्र, गैर-कानूनी एवं असंवैधनिक शब्दों का प्रयोग अनेक स्थानों पर किया गया है.
♣ इस संदर्भ में न्यास ने कुछ सुझाव दिए —
– किसी भी विषय की पुस्तक के प्रथम पाठ में उस विषय से संबंधित भारत के ज्ञान व गौरव को व्यक्त किया जाना चाहिए.
– आयु, स्तर अनुसार भारत के संविधान की प्रस्तावना, कर्तव्यों आदि का उल्लेख प्रत्येक कक्षा में हो.
– विद्यार्थियों के पिछले कक्षा के ज्ञान को आधार बनाकर अगली पुस्तक हो तथा इसमें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक ज्ञान को समृद्ध करने, सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने और आजीवन सीखने को बढ़ावा देने की उनकी क्षमता में अभिवृद्धि हेतु सहायक हो.
– विद्यार्थियों को अपने समुदाय, देश, संस्कृति के ज्ञान के साथ विश्व की संस्कृतियों से परिचय करवाना, जिम्मेंदारी की भावना, खोजी स्वभाव को विकसित करना, निर्णय लेने का कौशल, प्रभावी संचार कौशलता, निष्पक्ष भाव से अतीत और वर्तमान की घटनाओं को देखने की क्षमता विकसित करने में पुस्तकें सहायक हों.
– इतिहास / सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में राष्ट्रीय गौरव, राजनीतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास, तथ्यों की सटीकता, क्रमबद्ध तथा अतीत को जानने में रूचि विकसित करने, अपने पूर्वजों पर गर्व करने, प्राचीन वस्तुओं और स्मारकों, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की जिम्मेदारी लेने के लिए विद्यार्थियों को तैयार करे.
– मूल्य आधारित प्रेरणादायी घटनाएं, नक्शों, चित्रों, प्रसंगों को पाठ में प्रयोग प्रयो ग करने से पढ़ने की रूचि बढ़ती है तथा जिज्ञासा उत्पन्न होगी.
– प्रश्न पूछना, चर्चा, रोल प्ले, कम्प्यूटर सिमुलेशन गेम, प्रोजेक्ट कार्य, सूचना एकत्र करना, सर्वेक्षण आदि के सुझाव पुस्तकों में हों.
– प्रत्येक अध्याय को रोचक प्रश्न पूछने से प्रारम्भ करना तथा अध्याय के अंत में एक सिंहावलोकन या निष्कर्ष रखा जाए.
– पाठ्यपुस्तकों में भाषा का स्तर विद्यार्थियों की भाषा क्षमता और उनकी अवस्था अनुसार हो, शब्दों व वाक्यों के चयन में देशभक्ति, संस्कार, पर्यावरण सुरक्षा, आपसी स्नेह, भावात्मकता, एकता, आपसी समानता आदि भाव जागृत हो.
– भाषा पुस्तकों में अनुवादित नामों, स्थानों के लिए हिंदी के ही मूल शब्दों का प्रयोग हो. लेखक को भाषा, सूचना, चित्राण, संरचना सहित सभी बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिए.
एन.सी.ई.आर.टी की कक्षा 1 से 12 तक की सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकों की तुरन्त समीक्षा की जानी चाहिए ताकि उपरोक्त विसंगतियों को तत्काल प्रभाव से दूर किया जा सके.
♣ भारतीय इतिहास के सभी कालखण्डों के उचित प्रतिनिधित्व से संबंधित —
– पाठ्यपुस्तकों में केवल राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सामाजिक/आर्थिक/ शैक्षणिक आदि पक्षों का भी समावेश होना चाहिए.
– भारत के भौगोलिक क्षेत्रफल के अंतर्गत सभी क्षेत्रों के इतिहास को पाठ्यपुस्तकों में अनुपातिक स्थान मिलना चाहिए. वर्तमान पुस्तकों में उत्तरपूर्वी भारत आदि का इतिहास नगण्य है.
– पाठ्यपुस्तकों में राष्ट्र के प्रति स्वाभिमान जगाने वाला इतिहास होना चाहिए. उदाहरण चन्द्रगुप्त, शिवाजी, राणा प्रताप, राजेंद्र चोल, सिक्ख समुदाय आदि का गौरवशाली इतिहास पुस्तकों में होना चाहिए.
शिक्षा के आधरभूत उद्देश्य के संदर्भ में स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘मेन मेकिंग एवं करेक्टर बिल्डिंग’’. यही बात राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में दोहराते हुए ‘चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व के समग्र विकास’ को शिक्षा की आधारभूत बात माना है. सारे पाठ्यक्रमों का आधर यही होना चाहिए.
इसके साथ ही राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को आगामी पाठ्यक्रम में कोरोना काल में भारत का योगदान तथा आत्मनिर्भर भारत संबंधी पाठ को भी जोड़ना चाहिए. अभी तक पाठ्य-पुस्तकें पहले अंग्रेजी में तथा बाद में अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाता है. इसे बदलकर पहले हिन्दी में पुस्तकें तैयार होनी चाहिएं.
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास पिछले एक दशक से भी अधिक समय से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहा है. न्यास की मानना है कि शिक्षा देश की संस्कृति, प्रकृति एवं प्रगति के अनुरूप हो जो देश की सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं को पूर्ण कर सके.
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने वर्ष 2004 से ही ‘शिक्षा बचाओ आन्दोलन’ के माध्यम से एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में व्याप्त विकृतियों, विसंगतियों के विरुद्ध अपना कार्य प्रारंभ किया था. समय-समय पर चर्चा, सुझाव, न्यायालय एवं आंदोलन के रास्ते न्यास पाठ्यक्रमों में सुधार हेतु कार्यरत रहा है.