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केवल मनोरंजन नहीं, समाज निर्माण का साधन भी हैं फिल्में – मनोज कुमार

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अजमेर. सामान्य तौर पर कहा जाता है कि फिल्में समाज का आईना होती हैं, जैसा समाज होता है वैसी ही फिल्में बनती हैं. लेकिन अनुभव यह आने लगा है कि फिल्म में जो दिखाते हैं, समाज वैसा होने लगता है. इसलिए वर्तमान समय में फिल्में केवल मनोरंजन का साधन मात्र नहीं हैं, बल्कि समाज निर्माण का एक प्रभावी साधन बन गयी हैं. अत: समाज के प्रबुद्ध लोगों को विशेषकर युवाओं को फिल्मों को देखकर समाज के हित की दृष्टि से उन पर गंभीर चिंतन-मंथन करने की आवश्यकता है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान के सह प्रचार प्रमुख मनोज कुमार ने पुष्कर मार्ग स्थित आदर्श विद्या निकेतन माध्यमिक विद्यालय में यूथ थिन्कर्स क्लब द्वारा आयोजित फिल्म रिव्यू कार्यक्रम में संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि व्यक्ति की तरह समाज का भी मन निर्मित होता है. जिसके आधार पर कोई भी समाज किसी बड़े परिवर्तन के लिए तैयार होता है. वास्तव में फिल्में समाज का मन निर्माण करती हैं. इसलिए पढ़े-लिखे और चिंतनशील युवाओं को फिल्म को देख कर उन पर सार्थक चर्चाएं करनी चाहिए. जिससे समाज को सकारात्मक परिवर्तन के लिए तैयार किया जा सके. साथ ही फिल्मों द्वारा नकारात्मक परिवर्तन के लिए की जा रही चेष्टाओं से समाज को जागरुक किया जा सके.

इस अवसर पर प्रदर्शित डॉक्यूमेंट्री फिल्म की जानकारी देते हुए भूपेंद्र उबाना ने बताया कि पांचजन्य द्वारा भारत के विभाजन के तथ्य और वास्तविक दृश्यों को लेकर एक डॉक्यूमेंटरी सीरीज बनायी जा रही है जो यूट्यूब पर सबके लिये उप्लब्ध करवायी जाएगी. इसी के प्रथम भाग का रिव्यू कार्यक्रम में किया गया. 33 मिनट की डॉक्यूमेंटरी देखने के बाद युवाओं द्वारा सार्थक चर्चा की गयी.

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