विश्व की अधिकांश जनसंख्या आज कोरोना संक्रमण के भय से त्रस्त है. संक्रमण की चिकित्सा व रोकथाम की औषधियों व टीकों पर बड़ी कम्पनियों के पेटेंट के कारण ये सबको सुलभ नहीं हैं. मानव का जीवन का अधिकार, सार्वभौम मौलिक अधिकार है. कुछ कम्पनियों को पेटेंट से मुनाफा कमाने हेतु असीमित अधिकार देकर करोड़ों लोगों के जीवन के अधिकार पर आंच आए, ऐसा नहीं होने दिया जा सकता.
इन टीकों और दवाओं को सस्ता व सर्व सुलभ कराने के लिए, भारत के लोगों द्वारा टीकों व दवाओं को पेटेंट मुक्त कर इनकी टेक्नालॉजी के हस्तांतरण के लिये एक सघन अभियान चलाया जा रहा है. यद्यपि कोविड के इलाज से सम्बंधित कई दवाओं का स्थानीय उत्पादन हो रहा है, लेकिन समस्या की गंभीरता के कारण बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए उपलब्ध मात्रा अत्यधिक अपर्याप्त है.
स्वदेशी जागरण मंच ने कोविड के टीकों व औषधियों को पेटेंट मुक्त कर इनकी टेक्नालॉजी इनके उत्पादन में सक्षम सभी दवा उत्पादकों को सुलभ कराने की मांग करते हुए सघन जन जागरण अभियान छेड़ा है.
भारत में भी कम से कम 70% जनसंख्या के टीकाकरण के लिए लगभग 200 करोड़ खुराक की आवश्यकता है. बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए इनकी प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की सुविधा और इनके पेटेंट और व्यापार रहस्य सहित बौद्धिक संपदा अधिकार सम्बन्धी बाधाओं को दूर करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर उपाय करने होंगे.
‘वैश्विक सर्वसुलभ वैक्सीन एवं दवाइयां अभियान’ के अंतर्गत देश और विदेश के विविध सामाजिक, संस्कृतिक व सभी प्रकार के संगठनों, शिक्षण संस्थानों, प्रबुद्धजनों, शिक्षाविदों, न्यायाधीशों से सहयोग लिया जा रहा है. 28 मई, 2021 को इस संबंध में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भी कुछ विश्वविद्यालयों, भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा आयोजन किया गया था.
भारत सरकार ने दक्षिण अफ्रीका के साथ, विगत अक्तूबर में ही इन्हें पेटेंट मुक्त करने का विश्व व्यापार संगठन में ट्रिप्स समझौते से छूट का प्रस्ताव रखा, इस प्रस्ताव का अब तक 120 देशों ने समर्थन कर दिया है.
UVAM, विश्व व्यापार संगठन, सहित विश्व की सभी सरकारों से दृढ़तापूर्वक आग्रह करता है –
- टीकों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सभी संभावित निर्माताओं के लिए व्यापार रहस्य सहित टीकों के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, कच्चे माल की उपलब्धता, सभी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं.
- रेमेडीसविर, फेविरेसीर, टोसीलुजुमाब और अन्य आवश्यक दवाओं के उत्पादन और मोलनुपीरविर जैसी नई दवाओं का प्रचुरता से उत्पादन सुनिश्चित किया जाए.
- वैश्विक स्तर पर वैक्सीन और दवाईयों के पर्याप्त उत्पादन के साथ- साथ इनके मूल्यों पर प्रभावी नियंत्रण भी आवश्यक है.
- इस हेतुWTO, G-7, G-20 और अन्य वैश्विक मंचों के माध्यम से राजनयिक प्रयासों में तेजी लायी जाए.
डिजिटल हस्ताक्षर अभियान में अभी तक लगभग पांच लाख लोग याचिका पर हस्ताक्षर कर चुके हैं. ऐसी ही एक दूसरी याचिका पर भी भारत और विश्व के 20 देशों के 1600 से अधिक अति उच्च शिक्षाविदों /प्रबुद्ध नागरिकों ने हस्ताक्षर करते हुए मांग की है कि –
- विश्व व्यापार संगठन, बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रावधानों में छूट दे.
- वैश्विक दवा निर्माता और वैक्सीन निर्माता कपनियां स्वेच्छा से, मानवता के लिए, अन्य निर्माताओं को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित पेटेंट मुक्त अधिकार दें.
- सरकार पेटेंट धारकों से इतर भी अन्य सभी दवा निर्माताओं को वैक्सीन व दवाईयां को बनाने का अधिकार, आवश्यक प्रौद्योगिकी व उत्पादन सामग्री की उपलब्धता के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए, उन्हें प्रोत्साहन दे.
- कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए वैक्सीन और दवाओं की वैश्विक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, सभी देशभक्त जनता, संबंधित व्यक्ति और संगठन बढ़-चढ़कर आगे आएं.
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