“मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा
तेरा तुझको सौंप के, क्या लागे मेरा”
आज तरनतारन नगर के प्रवास पर था, तो निधि समर्पण व जन संपर्क का कार्य करने के बाद हरिंदर जी (विहिप कार्यकर्ता), के ऑफिस में बैठ कर आगामी योजना पर चर्चा कर रहे थे. तभी उनके एक मित्र विपिन गुप्ता जी उर्फ डिस्को बाबा जी, जो अभिय़ान के प्रारंभ से प्रतिदिन निधि समर्पण टोली के साथ संपर्क में लगे हुए हैं. आज अचानक आकर स्वयं का समर्पण करने की बात कहने लगे.
उन्होंने कहा कि मेरे बैंक खाते में मेरी बचत के रूप में आज तक की जितनी राशि है, मैं सारी राशि श्रीराम के चरणों में मंदिर निर्माण के लिए समर्पित करना चाहता हूं… हम सब यह सुनकर आश्चर्यचकित थे. और उन्हें समझाने लगे कि भावुक हो कर निर्णय ना लें, और कुछ विचार करें. लेकिन डिस्को बाबा अपनी बात पर अडिग रहे, तथा जीवनभर की जमा पूंजी 1,00,001 रु (एक लाख एक रु की राशि) श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु समर्पित कर दी. उनके खाते में इतने ही पैसे थे. निधि समर्पित करने के पश्चात कहा – अगर करोड़ रुपये भी होते तो वो भी समर्पित कर देता.
वास्तव में हम सब के लिए ये भावुक करने वाला क्षण था, वहां उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं की आंखों में पानी था.
23 मार्च, 1990 को तत्कालीन विभाग प्रचारक रामेश्वर जी की प्रेरणा से तरनतारन से अयोध्या जाने वाले जत्थे में विपन जी भी शामिल थे. कारसेवा के दौरान पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया था और 15 दिनों तक सश्रम कारावास में सीतापुर जेल (उत्तरप्रदेश) में रखा था. कारावास के दौरान किए गए श्रम के बदले में जेलर ने जेल से छूटते समय 131 रु 25 पैसे दिए थे. इस घटना का स्मरण करते हुए डिस्को बाबा ने भावुक होते हुए कहा कि आज राम जी की कृपा से ही 131 रुपये से एक लाख हुए हैं, इसलिए ये सारे पैसे राम जी के चरणों मे समर्पित कर रहा हूँ.
पैसे होना बड़ी बात नहीं, दिल बड़ा होना चाहिए. यह राम जी का है, और राम जी के चरणों में समर्पित. इसी मनोभाव से समर्पण करने वाले विपन गुप्ता जी को प्रभु श्रीराम हमेशा अच्छा स्वास्थ्य व दीर्घायु प्रदान करें.
जय श्री राम…..
अक्षय कुमार (अमृतसर विभाग प्रचारक)