भोपाल. प्रभु श्रीराम के प्रति आस्था की पराकाष्ठा कहें या प्रभु की माया. एक छोटी सी किराना दुकान चलाने वाली महिला ने अपने आभूषण गिरवी रखकर श्रीराम मंदिर के लिए समर्पण किया.
राजधानी के गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र के कोलुआ गांव की बस्ती में रहने वाली माया राजपूत और उनके पति मानसिंह राजपूत ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के लिए सपरिवार एक लाख रुपये का समर्पण किया. माया यहां एक छोटी सी किराना दुकान का संचालन करती हैं. उन्होंने यह राशि अपने सोने के आभूषण गिरवी रखकर जुटाई है.
रविवार को विद्युत भाग की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निधि समर्पण टोली के रामस्वरूप राजपूत, रणधीर पटेल सहित अन्य कार्यकर्ताओं से संपर्क कर यह राशि समर्पित की. उन्होंने निधि समर्पण टोली को एक पुस्तक भी भेंट की, इसमें उन्होंने और उनकी तीन बेटियों ने एक लाख बार ‘राम’ नाम लिखा है. माया का कहना है कि सालों से सुनते आ रहे हैं राम जी का मंदिर बनेगा, अब वह घड़ी आई है लग रहा है कि सारे सपने सच हो रहे हैं. यह कहते हुए माया भावुक हो गईं. कुछ देर खामोश रहने के बाद उन्होंने बताया कि 2003 में हृदयाघात से उनके भाई का निधन हो गया था. उस समय वाहन और रुपयों के अभाव में वे अपने भाई को अस्पताल नहीं ले जा सकी थीं. इसके बाद दूसरों की मदद करने का संकल्प लिया, तब से वे अपने सामर्थ्य अनुसार अनुसार लोगों की मदद करती आ रही हैं.
जीवन में जब भी विपरीत परिस्थिति आई वे राम जी का नाम जप करती हैं और उसे पुस्तक में लिखती हैं. भगवान कष्ट हर लेते हैं.
घर बनाने के लिए कर्ज लिया तो रामजी के लिए क्यों नहीं
माया और उनके पति मानसिंह ने कहा कि उन्होंने घर में किराना दुकान खोलने के लिए 2001 में पत्नी की पायल गिरवी रखीं. राम जी का नाम लेकर काम शुरू किया और आज तक दुकान का संचालन कर रहे हैं. अपना मकान बनवाने के लिए बैंक और सगे-संबंधियों से कर्ज लिया. अब जब राम जी का मंदिर बनने की बारी आई तो आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि ज्यादा राशि दे सकें, तो विचार आया कि आभूषण गिरवी रखकर रुपए जुटाएं, बाद में धीरे-धीरे यह राशि चुका लेंगे. माया की तीनों बेटियों और मां का कहना है कि यह मंदिर तो बार-बार बनेगा नहीं, इसलिए इसमें क्षमता से ज्यादा समर्पण किया है. उनका कहना है कि मंदिर बनने के बाद वे सपरिवार दर्शन करने जाएंगी.