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गौरव यात्रा – काशी में शक्ति के सम्मान में उतरी मातृशक्ति

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काशी। ऑपरेशन सिन्दूर देश के दुश्मनों के लिए एक संदेश है। आतंकिस्तान के साथ पाकिस्तान को भी हिला कर रख देने वाले मिशन ने भारत की शक्ति को पुनः स्थापित किया। भारत में बेटियों को शक्ति का रूप माना गया है और इस मिशन में भारतीय सेना का नेतृत्व कर रही दो बेटियों ने बता दिया कि सिन्दूर की ओर आंख उठाने का परिणाम क्या होगा। ऑपरेशन सिन्दूर के बाद देश में हर्ष का माहौल है।

इसी क्रम में बुधवार को वाराणसी में भारतीय मातृशक्ति गौरव समिति, काशी ने विशाल गौरव यात्रा निकालकर भारत की सैन्य शक्ति का सम्मान किया। सीमा पर युद्ध में वीरगति को प्राप्त भारत माता के बलिदानी वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी। सिगरा नगर निगम स्थित शहीद उद्यान से निकली यात्रा में हजारों की संख्या में उपस्थित मातृशक्ति ने गगनभेदी उद्घोष से भारत की तरफ आंख उठाने वालों को सन्देश दिया कि सेना के साथ हम भी डटे हैं। मातृशक्ति ने एक स्वर में कहा कि सिंदूर का अर्थ अब सिर्फ श्रृंगार नहीं, ये भारत की सुरक्षा की पहचान है। यात्रा अपने विश्राम स्थल भारत माता मन्दिर पहुंची। मन्दिर परिसर में उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता एन.सी.सी. बीएचयू की सीनियर गर्ल्स कैडेट श्रुति श्रीवास्तव ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर से हमारी सेना ने बता दिया कि हम शान्ति चाहते हैं, किन्तु अगर कोई युद्ध थोपेगा तो विजय हम ही लिखेंगे। आज का दिन मात्र एक आयोजन नहीं, गौरव का उत्सव है। बलिदानियों के बलिदान को प्रणाम करने का संकल्प है, और भारत माता के प्रति अपनी निष्ठा को दोहराने का अवसर है।

मन्दिर परिसर में भारत माता की प्रतिमूर्ति बालिका का माल्यार्पण किया गया। दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। विषय प्रस्तावना सह संयोजिका प्रो. अमिता सिंह ने रखी। अतिथि परिचय एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजिका प्रो. मंजू द्विवेदी एवं संचालन डॉ. शिप्राधर व सीए जमुना शुक्ला ने किया।

यात्रा का नेतृत्व भारत माता एवं लोकमाता अहिल्यादेवी की झांकी ने किया। देवी अहिल्या के नौ रूपों में शिवलिंग लेकर आयी बालिकाओं ने भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और प्राचीन नारीशक्ति से परिचित कराया, जिसका संयोजन डॉ. शिप्राधर ने किया। लोकमाता अहिल्यादेवी श्री काशी विश्वनाथ की अनन्य भक्त थीं।

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