जम्मू. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद कुछ लोगों द्वारा फैलाए जा रहे प्रोपेगंडा को घाटी के मतदाताओं ने नकार दिया है. और इसका प्रमाण लोकसभा चुनाव 2024 में देखने को मिला है. इस बार कश्मीर घाटी की सीटों पर मतदाताओं ने बढ़चढ़ कर मतदान किया और बीते तीन दशक के रिकॉर्ड टूट गए हैं. श्रीनगर लोकसभा सीट पर करीब 38.49 फीसदी वोट पड़े, जबकि 2019 में यहां केवल 14.43 फीसदी वोट ही पड़े थे. बारामूला में भी 59.1 फीसदी वोट पड़े, जबकि 2019 में केवल 34.57 फीसदी वोट पड़े थे. आंकड़े गवाह हैं कि स्थिति में व्यापक सुधार हुआ है.
श्रीनगर और बारामूला में रिकॉर्ड मतदान के बाद, अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र ने भी मतदान के रिकॉर्ड तोड़ दिए. संसदीय क्षेत्र में 51.35 प्रतिशत (शाम 5 बजे तक) मतदान दर्ज किया गया. मतदान का यह आंकड़ा 1989 के बाद यानी 35 वर्षों में सबसे अधिक है.
वर्तमान आम चुनावों में घाटी के तीन निर्वाचन क्षेत्रों में कुल मतदान 50 प्रतिशत (अनंतनाग राजौरी शाम 5 बजे) रहा, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 19.16 प्रतिशत था. निर्वाचन आयोग ने कहा कि “जम्मू-कश्मीर के लोगों ने, अनंतनाग राजौरी संसदीय क्षेत्र के मतदान में भी, लोकतंत्र में विश्वास जताया है और विरोधियों को गलत साबित कर दिया है”.
अनंतनाग-राजौरी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 2338 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ और इसके साथ ही इन मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग भी हुई. संसदीय क्षेत्र (पीसी) में प्रात: 7 बजे मतदान शुरू हुआ और वोट डालने के लिए अत्यंत उत्साहित मतदाता लंबी-लंबी कतारों में अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे. सुरक्षा कर्मियों सहित मतदान कर्मियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किया कि मतदान केंद्रों पर मतदाताओं का स्वागत शांतिपूर्ण, एवं उत्सव जैसे माहौल में किया जाए.
निर्वाचन आयोग ने दिल्ली, जम्मू और उधमपुर के विभिन्न राहत शिविरों में रहने वाले प्रवासी कश्मीरी मतदाताओं को निर्दिष्ट विशेष मतदान केंद्रों पर व्यक्तिगत रूप से मतदान करने या डाक मतपत्र का उपयोग करने का विकल्प भी दिया. जम्मू में 21, उधमपुर में 1, और दिल्ली में 4 विशेष मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे.