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हिन्दुओं का नरसंहार बर्दाश्त नहीं, यूएन भेजे पीस कीपिंग फोर्स – डॉ. सुरेन्द्र जैन

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नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि बांग्लादेश में हिन्दुओं के अनवरत नरसंहार को रोकने के लिए अब संयुक्त राष्ट्र संघ को पीस कीपिंग फोर्स भेजनी चाहिए. विहिप के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन ने कहा कि हिन्दुओं पर इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों की तुलना केवल नाजियों की बर्बरता से की ही जा सकती है. हिन्दुओं के विरुद्ध हो रहे पाशविक अत्याचारों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. अब संयुक्त राष्ट्र संघ को इस मामले में पहल करते हुए हिन्दुओं की सुरक्षा हेतु अपनी पीस कीपिंग फोर्स अविलंब बांग्लादेश भेजनी चाहिए. विहिप हिन्दुओं पर हो रहे नृशंस अत्याचारों की कठोरतम शब्दों में निंदा करते हुए शेख हसीना को आगाह करती है कि वे अपने राज धर्म का पालन करें, हिन्दू समाज की सुरक्षा सुनिश्चित कर दोषियों को कठोरतम सजा दिलवाएं.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ एवं सभी मानवाधिकार संगठन पंगु बने हुए हैं. इस्लामिक कट्टरपंथी बांग्लादेश को हिन्दू शून्य बनाने पर तुले हैं. बांग्लादेश सरकार मूकदर्शक बनी है. वहां की प्रधानमंत्री जिहादियों पर नियंत्रण करने की जगह भारत सरकार को नसीहत दे रही हैं कि वे भारत में ऐसी कोई घटना ना होने दें, जिससे कि वहां का मुसलमान भड़क जाए. शेख हसीना के इस बयान के बाद मुस्लिम कट्टरपंथी और भड़क गए तथा हिन्दुओं पर हो रहे पाशविक अत्याचारों में बढ़ोतरी हो गई. अत्याचारों का सिलसिला अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है.

डॉ. जैन ने कहा कि बांग्लादेश घोषित रूप से इस्लामिक देश है. इसीलिए अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश में प्रारंभ से ही हिन्दुओं पर जघन्य अत्याचार होते रहे हैं. लेकिन वर्तमान घटनाक्रम ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. पिछले 10 दिनों में 150 से अधिक मां दुर्गा के पूजा मंडप नष्ट कर दिए. 362 से अधिक मूर्तियां ध्वस्त कर दी. हजारों हिन्दुओं के घरों और दुकानों पर हमला करके लूटा गया है. 1000 से अधिक हिन्दू घायल हो गए हैं तथा अभी तक 10 हिन्दुओं के मारे जाने का भी समाचार आ चुका है. कई हिन्दू महिलाओं के साथ बर्बर रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया है. चांदपुर के हाजी गंज में तो एक महिला, उसकी बेटी और उसकी बहन की बेटी के साथ पाशविक रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया. 10 साल की एक मासूम बच्ची ने तो वहीं पर दम तोड़ दिया. इस्कॉन के तीन मंदिरों, रामकृष्ण मिशन के आश्रमों, राम ठाकुर आश्रम जैसे 50 से अधिक मंदिरों को नष्ट कर दिया गया है. इस्कॉन के दो संतों तथा चौमोहिनी मंदिर के तीन पुजारियों की बर्बर हत्या कर दी गई है. कई जिलों में इंटरनेट की पाबंदी के कारण अधूरे समाचार मिले हैं. वास्तविकता इससे भी कहीं भयानक है.

उन्होंने कहा कि हिन्दुओं पर इस तरह के अत्याचार कट्टर इस्लामिक चरित्र का एक अंग बन गए हैं, जिसका साक्ष्य वर्तमान बांग्लादेश में हिन्दुओं की निरंतर गिरती हुई जनसंख्या है. 1951 में पूर्वी पाकिस्तान में हिन्दुओं की जनसंख्या 22% थी, बांग्लादेश के निर्माण के समय 1971 में 18% थी जो अब घटकर मात्र 7% रह गई है. इससे यह सिद्ध होता है कि बांग्लादेश के निर्माण के बाद भी हिन्दुओं पर अत्याचारों का सिलसिला रुका नहीं, अपितु तेजी से बढ़ा है.

इस्लामिक देश घोषित करने के बाद वहां वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट बनाया गया. जिसके अंतर्गत हिन्दुओं की संपत्ति पर वहां की सरकार कभी भी कब्जा कर सकती है. विहिप का यह स्पष्ट मत है कि बांग्लादेश के इस्लामिक चरित्र के कारण ही वहाँ की सरकारें हिन्दुओं पर अत्याचारों की मूक दर्शक ही नहीं प्रेरक भी बनती रही हैं. बांग्लादेश को इस्लामिक देश की जगह धर्मनिरपेक्ष देश घोषित किए बिना वे कट्टरपंथियों के चंगुल से बाहर नहीं निकल सकते.

उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज पर हो रहे इन अमानवीय अत्याचारों को हिन्दू समाज और बर्दाश्त नहीं करेगा. 19 अक्टूबर को कोलकाता में विशाल आक्रोश प्रदर्शन किया जा रहा है. दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के सामने 20 अक्तूबर को एक बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. इसके साथ ही पूरे देश में जिला स्थानों पर प्रदर्शन किए जाएंगे.

विहिप बांग्लादेश सरकार को आगाह करती है कि यदि वे विकासशील देशों की पंक्ति में खड़े रहना चाहते हैं तो उन्हें अपनी कट्टरपंथी छवि से मुक्त होना पड़ेगा. कट्टरपंथियों पर उसी तरह की कार्यवाही करनी पड़ेगी जो 1971 में की गई थी. आवश्यकता हो तो उन्हें भारत सरकार की सहायता भी लेनी चाहिए.

विहिप की संयुक्त राष्ट्र संघ से भी अपील है कि वह हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए सक्रिय भूमिका निभाये. इन स्थानों पर पीस कीपिंग फोर्स  भेज कर अपने अस्तित्व के औचित्य को सिद्ध करें. विहिप भारत सरकार से अपील करती है कि वे अपनी पूरी ताकत से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाए, जिससे वह हिन्दू समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने दायित्व को पूरा कर सके.

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