मृत्युंजय दीक्षित
प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से कौशलजीवी समाज का जीवन संवारने के लिए विश्वकर्मा योजना की घोषणा की थी. जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने भी स्वीकृति दे दी है. भगवान विश्वकर्मा शिल्प और कौशल के देवता हैं. अतः केंद्र सरकार की यह योजना आगामी विश्वकर्मा जयंती 17 सिंतबर से पूरे देश में लागू की जाएगी.
योजना के प्रारंभिक चरण में भारत के मूल 18 कौशलजीवी बढ़ई, नाव निर्माता, लोहार, ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाले, पत्थर तोड़ने वाले), चर्मकार, राजमिस्त्री, टोकरी, चटाई, झाडू निर्माता, बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई, माली, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने का जाल बनाने को आच्छादित किया जाएगा. नई विश्वकर्मा योजना से लघु उद्योग को बढ़ावा मिल सकेगा और इन पारंपरिक कौशलों को एमएसएमई श्रृंखला से जोड़ा जाएगा. योजना से सबसे ज्यादा लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग को होगा. अधिकांश कौशलजीवी प्रायः उपरोक्त समाजों से ही आते हैं. अगर यह योजना कारगर तरीके से धरातल पर उतारी गयी तो इस समाज का आर्थिक परिदृश्य ही बदल जाएगा तथा वह और अधिक कुशलता के साथ कार्य करने में सक्षम हो सकेंगे. योजना से 30 लाख परिवारों की वित्तीय स्थिति में बड़ा परिवर्तन आएगा. इस योजना से छोटे व्यवसायों और श्रमिकों को अपना व्यापार बढ़ाने और आर्थिक स्थिति सुधारने में भी मदद मिलेगी.
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के माध्यम से गुरु- शिष्य परंपरा के अंतर्गत कौशल कार्यों को बढ़ाने वाले कामगारों का कौशल विकास किया जाएगा तथा उन्हें ऋण सुविधा एवं बाजार तक पहुंच प्रदान करने में भी मदद की जाएगी. इस ऐतिहासिक योजना पर वित्त वर्ष 2023 -24 से वित्त वर्ष 2027- 28 के मध्य पांच वर्षों की अवधि में 13 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा.
योजना में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि इन वर्गों का किस तरह से अधिक से अधिक कौशल विकास हो तथा नए प्रकार के उपकरणों एवं डिजाइन की जानकारी प्राप्त हो सके. योजना के अंतर्गत दो प्रकार का कौशल विकास कार्यक्रम होगा, जिसमें पहला बेसिक और दूसरा एडवांस होगा. कोर्स करने वाले लोगों को मानदेय भी प्राप्त होगा.
योजना की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि छोटे छोटे कस्बों में अनेक वर्ग ऐसे हैं जो गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत कौशल से जुड़े कार्यों में लगे हैं. इस योजना के पहले चरण में 1 लाख रुपये तक की और दूसरे चरण में 2 लाख रुपये तक की सहायता महज 5 प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण के रूप में मिलेगी.
योजना के अंतर्गत कारीगरों, शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र प्रदान कर मान्यता भी दी जाएगी. सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि इस योजना के अंतर्गत कारीगरों को डिजिटल लेन देन में प्रोत्साहन और बाजार समर्थन प्रदान किया जाएगा. इसके अंतर्गत आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 15 हजार रुपये की मदद दी जाएगी. योजना के अंतर्गत एक परिवार से एक व्यक्ति को ही योजना का लाभ दिया जाएगा.