मधुकर चतुर्वेदी
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि ब्रज मंडल कभी मीठे पानी व उसकी प्रचुर उपलब्धता के लिये प्रसिद्ध था. लेकिन, पिछले दो दशकों से यहां जल संकट सिर उठाने लगा है. मां यमुना में प्रवाहित दूषित-जल और भूगर्भ जल दूषित होने से स्वच्छ जल की समस्या दिनों-दिन गहराती जा रही है. दोनों समस्याओं की जड़ में यहाँ के प्राचीन कुंडों-तालाबों का मिटना भी है.
ऐसे कठिन समय में जलदूत बने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने संपूर्ण मथुरा जनपद में जल संवर्धन व पर्यावरण संरक्षण की अलख जगायी. और दो दशकों से लगातार गिर रहा भू-गर्भ जल स्तर पिछले दो वर्ष में बढ़ना शुरू हो गया और यह सब स्वयंसेवकों द्वारा प्राचीन कुंडों को पुनर्जीवित करने और नए तालाबों के निर्माण के कारण संभव हुआ. स्वयंसेवकों द्वारा पुराने तालाबों को पुनर्जीवित करने के प्रयास अभी भी जारी हैं. पर्यावरण संरक्षण गतिविधि द्वारा इस अभियान के तहत सैकड़ों तालाबों को कब्जा मुक्त कराया जा चुका है और दर्जनों की संख्या में नए तालाब बनाए जाने की योजना भी है.


कुंडों को पुनर्जीवित करने का अभियान
ब्रजमंडल 84 कोस में कुंडों की लंबी श्रृंखला है. कुछ लुप्त हो गए तो कुछ पर अतिक्रमण और बाकी रखरखाव के अभाव में अपने अस्तित्व से लड़ रहे थे. ऐसे में पर्यावरण गतिविधि से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कुंडों को पुनर्जीवित करने की योजना बनायी. वर्ष 2020 में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और तय किया कि भूगर्भ जल स्तर में सुधार करने से मीठा जल भी प्राप्त होगा और जल संकट भी कम होगा. ब्रज के प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला, ने योजना के कई बिन्दुओं को तैयार किया और कार्यकर्ताओं को प्रेरणा देते हुए स्वयं इस कार्य में जुटे.
राधाष्टमी पर कुंड पूजन के साथ शुरू हुआ अभियान
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि से जुड़े कार्यकर्ताओं की हर खंड में टोली और ग्राम पंचायत स्तर पर समिति बनायी गयी और सबसे पहले कागजों में दर्ज कंडों की पहचान करने का कार्य प्रारंभ हुआ. मथुरा जिले में पुनर्जीवित करने योग्य 2015 कुंडों की पहचान की गयी. पहचान के बाद मौके पर लुप्त कुंडों की जमीन को समतल करने का कार्य किया गया. बाद में संपूर्ण ब्रज में तालाब पूजन किया गया. शुरूआत राधाष्टमी पर रावल में कुंड पूजन से हुई. जिसमें संतों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कुंडों का पूजन किया गया. अकेले 2020 में 164 तालाबों का पूजन हुआ. इसमें 3700, पुरूष और 850 महिलाओं की सहभागिता रही. 2021 में 543 स्थानों पर पूजन हुआ. जिसमें 5,973 लोग शामिल हुए. 2022 में 459 तालाबों का पूजन हुआ. जिसमें 4130 लोग शामिल हुए. प्रशासन ने भी इस अभियान में सहयोग दिया.

अभी तक खोदे गए तालाब
स्वयंसेवकों ने वर्ष 2020 में 1062 नए तालाब खोदे. 2021 में 248, वर्ष 2022 में 128 तालाब खोदे गए. कुल 1438 तालाब अब तक खोदे जा चुके हैं.
तालाब खोदने के बाद उनमें जल पहुंचाने के लिए नाली का निर्माण कराया, पाइप लाइन डलवायी और गंगनहर, यमुना का जल पंपसैट के माध्यम से भरा गया. वहीं कुछ तालाबों को वर्षा जल से भी भरा गया. वर्ष 2020 में 50 तालाब गंगनहर से, 450 तालाब वर्षा के जल से और 2021 में 73 तालाब गंगनहर से भरे गए. पाइप लाइन और पंपसेट की मदद से 40 तालाबों को भरा गया. वर्ष 2021 में 525 तालाब वर्षा के जल से भरे गए. वहीं 2022 में 67 तालाब गंगनहर से और 500 वर्षा के जल से भरे गए.

अभियान से यह परिवर्तन देखने को मिला
ग्राम पंचायत धनैता, विकास खंड बल्देव में जब स्वयंसेवक सर्वे करने गए तो कागजों में 8 एकड़ में दर्ज तालाब पर अतिक्रमण था. तालाब को खुदवाया, 1200 मी. की पाइप लाइन डलवायी. फिर 6 तलाब खुदवाए और पाइप लाइन से गंगनहर का जल पहुंचाया. परिणाम यह हुआ कि 7 महीनों में धनैता विकास खंड का जलस्तर बढ़ गया. बल्देव के ही हथकौली में दो पाइप लाइन डालीं गयी. बाजना के पास मिट्टौली, बिरजूगढ़ी, कटहला गांव, सुरीर, टैंटीगांव में भी जल भूगर्भ जलस्तर बढ़ा. जल स्तर बढ़ने से सबसे अधिक ग्रामीण माताओं को लाभ पहुंचा. क्योंकि 4 किमी. दूर वह प्रतिदिन पानी लेने जाती थीं. अब उनके ग्राम में हैडपंपों में ना केवल पानी आ गया, बल्कि जल की भी शुद्धि हुई है.
आगे पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के अंतर्गत जल संरक्षण के कार्य को संपूर्ण प्रांत में योजना बनाकर किया जाएगा. अभी जिन तालाबों को पुनर्जीवित किया है, उसके किनारे वृक्षारोपण करेंगे. नए तालाबों और कुंडों को भी भरा जाएगा. साथ ही सामाजिक व प्रशासनिक सहयोग से जागरूकता अभियान और कुंड पूजन कार्यक्रम आयोजित होंगे. – रणवीर, प्रांत संयोजक, पर्यावरण गतिविधि, ब्रज प्रांत.
इस वर्ष के लिए अभी और नए तालाबों की पहचान की है. मई से पुनः तालाबों व कुंडों को पुनर्जीवित करने का अभियान प्रारंभ करेंगे. नागरिकों को जल संरक्षण के प्रति जागरूकता का कार्य भी निरंतर जारी रहेगा. – अजय सिकरवार, प्रांत जल उप्रक्रम प्रमुख, पर्यावरण गतिविधि, ब्रज प्रांत
मथुरा जनपद में भू-गर्भ जलस्तर में पिछले दो वर्षो में वृद्धि हुई है. यह भविष्य के लिए सुखद संकेत हैं. विभागीय स्तर पर समाज के सहयोग से जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा. – अभिषेक कुमार, अवर अभियंता, भूगर्भ जल विभाग, आगरा मंडल.