रोहतक (विसंकें). पराली जलाने की समस्या से निजात पाने के लिए हरियाणा सरकार ग्राम पंचायतों के लिए पुरस्कार योजना लेकर आई है. इसी क्रम में प्रोत्साहन व जागरूकता के बाद किसानों ने पराली से कमाई का रास्ता ढूंढ लिया है. धान कटाई के सीजन में हरियाणा सरकार पूरी तरह सजग है कि किसान पराली खेतों में न जलाएं. किसानों ने समूहों का गठन किया है तथा पराली को ईंधन ब्लॉक का रूप देकर एक निजी एजेंसी के माध्यम से चीनी और पेपर मिलों में आपूर्ति कर रहे हैं.
कुरुक्षेत्र, कैथल, अंबाला सहित अन्य क्षेत्रों के किसान पराली जलाने की जगह उसे बेचकर कमाई कर रहे हैं. किसान प्राइवेट एजेंसी के उपकरणों के माध्यम से अपने खेतों में ही पराली के ईंधन ब्लाक तैयार कर रहे हैं. यही एजेंसी विभिन्न चीनी व पेपर मिलों में ईंधन ब्लॉक की सप्लाई करेगी और अपना कमीशन काटकर किसानों को पराली का भुगतान करेगी.
हरियाणा कृषि विभाग इस काम में उनकी सहायता कर रहा है और किसान समूह बनाकर ये काम कर रहे हैं. कृषि उप निदेशक डॉ. गिरीश नागपाल के अनुसार इसके अलावा सरकार ने किसानों के लिए कस्टम हायरिंग सेंटरों की भी व्यवस्था की है. जहां इन सी टू उपकरण मौजूद हैं. जिसकी मदद से किसान चाहें तो अपने खेत की पराली को खेत में ही मिट्टी के साथ मिलाकर नष्ट कर सकते हैं.
डॉ. गिरीश नागपाल ने ‘एन्वायरमेंट फ्रेंडली एंड इकोनॉमिक वे टू डिस्पोज पैडी स्ट्रा’ नाम से एक खास रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को सौंपी है. यह रिपोर्ट हरियाणा के 499 गांवों की करीब 2.10 लाख एकड़ जमीन पर होने वाली धान की खेती के बाद बचने वाली पराली पर आधारित है. रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह से किसान पराली को ईंधन बनाकर उसे बेचकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं. धान की कटाई के बाद एक एकड़ से करीब 2 टन पराली निकलती है. जिसके एक्स-सी टू उपकरणों की मदद से ईंधन नुमा ब्लॉक तैयार होते हैं. ये ईंधन नुमा ब्लॉक बाजार में 1800 रुपये प्रति टन बिकते हैं.
खुली पराली बिक रही 12 सौ रुपये टन
जबकि यदि किसान खुली पराली बेचना चाहें तो वह 1200 रुपये प्रति टन में बिकती है. पराली की खरीद पेपर मिलें, चीनी मिलें व अन्य प्राइवेट कंपनियां करती हैं. किसान के पास यदि पराली से ईंधन बनाने वाले अपने उपकरण न हों, तो प्राइवेट एजेंसियां उनके खेतों में ही अपने एक्स-सी टू उपकरणों से पराली ईंधन ब्लाक बनाकर उसे वाहनों में भर कर मिलों तक पहुंचा रही हैं. किसान उनकी मदद से भी कमाई कर सकता है. रिपोर्ट में सरकार से आग्रह किया गया है कि यह मॉडल गांवों में लागू किया जाए.
सरकार ने रेड जोन में जीरो बर्निंग का टारगेट पूरा करने वाली पंचायत को प्रथम पुरस्कार के रूप में 10 लाख रुपए, इसी तरह से द्वितीय पंचायत को 5 लाख और तृतीय आने वाली ग्राम पंचायत को 3 लाख रुपए देने की घोषणा की है.