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हरियाणा में भी अवैध घुसपैठियों का डेरा, अवैध रूप से बनवा लिये हैं आधार व वोटर कार्ड

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गुरुग्राम. अवैध घुसपैठियों की समस्या पूरे देश से सामने आ रही है. हाल ही में झारखंड उच्च न्यायालय ने संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर रोक लगाने पर अहम निर्देश दिया था. राज्य सरकार को घुसपैठियों को चिह्नित कर वापस बांग्लादेश भेजने के लिए कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया और दो सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट भी मांगी है. जिसके बाद अवैध घुसपैठियों का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है.

हरियाणा भी अवैध घुसपैठियों से अछूता नहीं रहा है. राज्य के नूंह (मेवात), यमुनानगर, पानीपत, भिवानी, जींद, गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले ऐसे हैं, जहां बहुत अधिक संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिये बसे हुए हैं. अवैध घुसपैठियों में से कई ने मिलीभगत कर अपने आधार कार्ड व वोटर कार्ड तक बनवा लिए हैं.

कई घुसपैठियों के पास राज्य सरकार का प्रमुख दस्तावेज परिवार पहचान पत्र तक है. विश्व हिन्दू परिषद समय-समय पर घुसपैठियों के विरुद्ध कार्रवाई कर उन्हें बाहर निकालने का दबाव भी बनाती रही है, लेकिन आज तक अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है.

गृह विभाग का रिकॉर्ड

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के गृह विभाग के रिकॉर्ड में करीब पांच सौ बांग्लादेशियों के हरियाणा में होने की सूचना है. पिछले दिनों नूंह में हुई हिंसा में बांग्लादेशी घुसपैठियों व रोहिंग्या मुस्लिमों का हाथ होने के प्रमाण विहिप व बजरंग दल के नेताओं की ओर से प्रशासन को सौंपे गए थे.

विश्व हिन्दू परिषद के पास जो जानकारी है, उसके आधार पर कहा जा रहा है कि सबसे बड़ा संकट इन घुसपैठियों को पहचानने का है. चूंकि इन लोगों के पास डाक्युमेंट उपलब्ध हैं तो उन्हें भारत या हरियाणा का नागरिक मानने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता.

यह अलग बात है कि फर्जी तरीके से मिलीभगत कर यह डाक्यूमेंट तैयार किए गए हैं. बड़ी समस्या यह कि यदि बांग्लादेशियों को चिन्हित कर लिया गया तो उन्हें कहां रखा जाएगा.

जींद और नारनौल जिले में हो चुकी है गिरफ्तारी

पिछले दिनों जींद जिले के पाजूखुर्द में 10 और पानीपत में चार बांग्लादेशियों को अवैध रूप से रहने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इनमें से कुछ ने आधार कार्ड तक बनवा रखे थे. अधिकतर लोग ईट-भट्ठों, पानीपत की ब्लीचिंग फैक्टरियों व रेहड़ी लगाने का काम करते हैं.

करीब दो साल पहले नारनौल जिले से 17 बांग्लादेशियों को अवैध रूप से रहने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. उनकी 13 माह की सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन अब उन्हें बांगलादेश वापस लेने को तैयार नहीं है.

झारखंड उच्च न्यायालय का निर्णय

झारखंड उच्च न्यायालय ने संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर रोक लगाने पर अहम निर्देश दिया था. न्यायालय ने राज्य सरकार को घुसपैठियों को चिह्नित कर वापस बांग्लादेश भेजने के लिए कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया और दो सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट भी मांगी है.

न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठिये आपकी जमीन पर रह रहे हैं और तमाम सुविधाएं उठा रहे हैं. विदेशी घुसपैठियों को भारत में प्रवेश करने से हर हाल में रोकना होगा. यह किसी राज्य या जिले का नहीं है, बल्कि देश का मुद्दा है.

यह अति गंभीर मामला है और केंद्र सरकार को भी राज्य सरकार के साथ मिल कर काम करना चाहिए. न्यायालय ने जानना चाहा कि केंद्र सरकार इस मामले में क्या-क्या कदम उठा सकती है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि घुसपैठ के मामले में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अधिकार दिए हैं.

विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि राज्य सरकारों की तुष्टिकरण की नीति राज्य के हितों पर इसी तरह भारी रही तो न केवल झारखंड, बल्कि बाकी ऐसे राज्य भी, जिनमें बांग्लादेशी व म्यांमारी घुसपैठिये मौजूद हैं, जल्दी ही जिहादखंड बन जाएंगे.

राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में लव जिहाद, धार्मिक वैमनस्य और संगठित मजहबी उन्माद की घटनाएं बढ़ी हैं. बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है. धर्मांतरण का नंगा नाच चल रहा है. सरकारों के साथ शासन-प्रशासन के लोग ऐसे घुसपैठियों को प्रश्रय दे रहे हैं.

झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा घुसपैठियों को अविलंब देश से बाहर खदेड़ने के आदेश का न केवल झारखंड, बल्कि हरियाणा व दिल्ली सहित सभी राज्यों में सख्ती से अनुपालन होना चाहिए.

इनपुट्स – एबीपी न्यूज़

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