संसद में भाषण देते हुए राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रमाणित कर दिया कि हिन्दुओं के प्रति उनके मन में कितना कलुष भरा हुआ है. हिन्दू समाज पर विष उगलते हुए, हिन्दुओं पर ‘चौबीस घंटा हिंसा, हिंसा, हिंसा… नफरत, नफरत, नफरत’ करने का आरोप लगाने वाले यह बताएँ कि भारत की खंडित स्वतंत्रता किन लोगों द्वारा किए गए ‘डायरेक्ट एक्शन’ और कत्लेआम का परिणाम थी? और जब देश के दो टुकड़े हो गए तो भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों में हिन्दू और मुस्लिम जनसंख्या का क्या अनुपात था? और आज क्या अनुपात रह गया? यह एक गंभीर प्रश्न है जो सारे उत्तर स्वतः ही दे देता है, कि हिंसा कौन करता है और कौन हिंसा का भुक्त भोगी है?
1947 में पूर्वी पाकिस्तान में, जो बाद में बांग्लादेश बना, हिन्दू आबादी 33 प्रतिशत थी. आज वह 7 प्रतिशत पर सिमट गई है. लगभग 5 करोड़ हिन्दुओं की या तो हत्या कर दी गई अथवा इस्लाम में कन्वर्जन कर दिया गया, या वे जैसे-तैसे जान बचाकर भाग गए. ऐसी ही कहानी पाकिस्तान की है, जिसे कौन नहीं जानता? क्या राहुल गांधी इस बात का उत्तर दे सकेंगे कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले करोड़ों हिन्दुओं को अपनी मौत अथवा कन्वर्जन में से एक को चुनने का रास्ता किसने दिखाया?
1922 का मोपला नरसंहार हो अथवा कश्मीर घाटी में हिन्दुओं का नरसंहार, हजारों हिन्दुओं की हत्या, लूट, बलात्कार और अपहरण की घटनाएं घटी थीं, तब हिंसक कौन था? अक्ल के अंधों को यह नहीं दिखता कि ‘सर तन से जुदा’ का नारा कौन लगाता है? नफरती भाषण के बीच जब प्रधानमंत्री ने उन्हें टोका तो खिसियाए हुए राहुल गांधी ने अपनी बात पर लीपापोती करते हुए आरोपों की सुई भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर घुमा दी और उनको कट्टर हिन्दू बताते हुए हिन्दुत्व के सॉफ्ट-हार्ड विभाजन वाला घटिया खेल खेलने की कोशिश की.
दरअसल, हिन्दुत्व विरोधी जब ऐसे अवसरों पर सॉफ्ट हिन्दुत्व की बात करते हैं तो इसके पीछे एक गहरा षड्यंत्र निहित होता है, जिसे समझना बहुत आवश्यक है. इनके इस सॉफ्ट हिन्दुत्व का मतलब है, ऐसा दुर्बल और दयनीय हिन्दू जो न कन्वर्जन का विरोध करता हो, न अपनी परंपराओं पर होने वाले आक्रमणों का दृढ़ता से सामना करता हो. ऐसा दब्बू और डरपोक हिन्दू जो विधर्मियों द्वारा होने वाले अत्याचारों को चुपचाप सहता रहे, जो निज धर्म और निज संस्कृति को नष्ट होता देखकर भी गूंगा बना रहे. जो अपने परिश्रम की गाढ़ी कमाई पर भी पहला हक किसी परजीवी समुदाय को दिए जाने के इरादों को शीश झुकाकर स्वीकार कर ले, इन्हें ऐसा ही हिन्दू चाहिए. वही इनका सॉफ्ट हिन्दू है, जिसकी यह वकालत करते हैं.
किंतु अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के बचाव में आगे आने वाला, आततायियों से संघर्ष करने वाला साहसी और संगठित हिन्दू इन्हें हिंसक लगता है. सीमा पार के आतंकवादियों, अर्बन नक्सलियों एवं चीन के कुटिल षड्यंत्रों के विरोध में उठ खड़ा होने वाला हिन्दू इनको नफरती लगता है.
वस्तुतः यह नेहरू के वंशजों का मूलचरित्र रहा है कि भारत के भीतर ही नहीं, बाहर भी भारत को कमजोर करने वाली शक्तियों से उनकी मित्रता रही है. नेहरू का चीन और पाकिस्तान के प्रति झुकाव जगजाहिर था.
रॉ के अधिकारी रहे अमर भूषण की पुस्तक ‘इनसाइड नेपाल’ के अनुसार राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी ने भी नेपाल में हिन्दू राजशाही को अपदस्थ कर चीन समर्थक वामपंथियों को सत्ता दिलाने में सहयोग किया था. आखिर हिन्दू द्रोह जिनके डीएनए में हो, उनसे और क्या अपेक्षा की जा सकती है.
डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष