इंदौर. श्री गुरु जी सेवा न्यास के तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय “सुसंस्कारित स्वास्थ्य सेवा” की राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्यव क्ता डॉ. जयंतीभाई भाड़ेसिया ने कहा कि हमारी स्वास्थ्य सेवा सुसंस्कारित हो. नि:स्वार्थता को अपनाकर “वसुधैव कुटुंबकम्” भावना को चरितार्थ करें. जिससे हम ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जहाँ कोई शारीरिक रूप से दुःखी नहीं हो.
कार्यक्रम की प्रस्तावना सुहास हिरेमठ जी ने रखी. उन्होंने कहा कि दो दिवसीय कार्यशाला में सभी राज्यों से आए 165 डॉक्टर से विभिन्न सत्रों में विषयों पर चर्चा होगी.
आयोजन के दूसरे सत्र में डॉक्टरों द्वारा उनके द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों की जानकारी दी गई.
तीसरे सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुखभाई मंडाविया ने कहा कि हमारे यहाँ स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय नहीं है. हमारे यहां स्वास्थ्य को सेवा की तरह देखा जाता है. हम सभी “सर्वे: सन्तु निरामया:” की विरासत के वाहक हैं. कोविड काल में भारत ने 93 से अधिक देशों की सहायता की, सभी का कल्याण हो, सभी निरोगी रहें. इसका ध्यान रखकर देश निर्माण में सतत लगे रहना चाहिए.
प्रश्नोत्तर काल में सभी डॉक्टरों के ब्लड बैंक, शिशु मृत्यु दर, मेडिकल रिसर्च आदि सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम आगामी 5 वर्षों में 64 हजार करोड़ स्वास्थ्य पर खर्च करेंगे. मेडिकल रिसर्च के विषय पर कहा कि अभी नियमों में बदलाव किया गया है. पहले मात्र सरकार ही शोध कर पाती थी, अब निजी क्षेत्र के शोध को भी वैधता दी जाएगी.
कार्यक्रम में आशीर्वचन प्रदान करते हुए सद्गुरु मधुसूदन साई जी ने कहा कि शिक्षा, आहार, स्वास्थ्य को बेचा अथवा खरीदा नहीं जा सकता है. यही हमारी भारत की संस्कृति है. परंतु पश्चिमी शिक्षा व्यवस्था के कारण हम अपनी इस मूल भावना को भूल गए हैं. जिसे हम पुनः जागृत कर ऐसे भारत का निर्माण करें, जहाँ सभी सुखी हों.
कार्यशाला के सभी सत्रों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश भय्याजी जोशी भी उपस्थित रहे.